बुद्ध पूर्णिमा भगवान गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में मनाई जाती है, जिन्हें बौद्ध धर्म का जनक माना जाता है। यह न केवल भारत में, बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी व्यापक रूप से मनाया जाता है। यह दुनिया भर के बौद्ध लोगों के बीच अत्यधिक महत्व रखता है।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था। 563 ई.पू. बैसाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध का जन्म लुंबिनी, शाक्य राज्य (आज का नेपाल) में हुआ था। इस पूर्णिमा के दिन ही 483 ई. पू. में 80 वर्ष की आयु में 'कुशनारा' में उनका महापरिनिर्वाण हुआ था। वर्तमान समय का कुशीनगर ही उस समय 'कुशनारा' था। इस वर्ष 2023 में बुद्ध पूर्णिमा 5 मई को मनाया गया है।
सबसे प्राचीन धर्म सनातन धर्म ही है, जिससे जैन, बौद्ध आदि धर्मों का आविर्भाव हुआ। बोरोबुदूर विहार अथवा बरबुदूर इंडोनेशिया के मध्य जावा प्रांत के मगेलांग नगर में स्थित 750-850 ईसवी के मध्य का महायान बौद्ध विहार है। यह आज भी संसार में सबसे बड़ा बौद्ध विहार है और यह धर्म भारत की आध्यात्मिक विरासत का हिस्सा है। जब भारत अपनी शक्ति के चरम पर था, भारतीय पुजारियों और विद्वानों ने विदेश यात्रा की और बौद्ध धर्म को व्यापक रूप से फैलाया: तिब्बत और चीन में और फिर जापान में, और श्रीलंका के माध्यम से पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में। यह त्योहार भारत, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाईलैंड, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया तथा पाकिस्तान में मनाया जाता है। बिहार स्थित बोधगया नामक स्थान पर हिन्दू और बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थल हैं।