बजट २०१६ मेरी नजर
वर्तमान सरकार ने चुनाव के समय में किसानो को उनकी फसलो को न्यूनतम मूल्य २०१३ से तीन गुना करने को वादा किया था तीसरे बजट में भी उस पर कोई भी बात नहीं की गई उद्योगों और टैक्स चोरों को टैक्स में फिर राहत की वे अपने काले धन पर ४५% की दर से टैक्स चुकता कर उसे सफ़ेद बना सकते हैं I माननीय वित्तमंत्री आम जनमानस के लिए भी ऐसा ही कर दें खासतौर से नौकरीपेशा लोगों को भी ताकि वह जब चाहे ४५% की दर से अपना टैक्स सरकार को अदाकर दें तो उनकी मेहरवानी होगी I उलटे मेहनतकश लोगों के भविष्यनिधि पर डाका न डालें तो ठीक रहेगा. इधर पुराने मामले में भी वोडाफ़ोन जैसों को राहत मिलना...एक दूसरे के पूर्णतया विपरीत हैं क्या यही भारत का बजट है भारत का किसान स्वाभिमानी है उसको उद्योगपतियों की तरह सौदेबाजी नहीं आती उसको व उसके परिवार को भुखमरी के मुख में ले जाने के दोषी सरकारे और राजनेता ही रहे हैं क्यों कि उस मेहनतकस को उसकी फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिलता I क्या यही सही है ???