अपने कालेज के दिनों में मैं अपनी सनक, हालात और घटनाओं का शिकार होकर एक चक्रव्यूह में फंस गया था जिससे निकालना उस समय असंभव सा लगता था। पर परिस्थितियों की समीक्षा और विश्लेषण करके, दृढ़ताऔर आत्मविश्वास के सहारे छोटे-छोटे कदम बढ़ कर मैं ऐसी स्थिति से उबर सका। अपने अनुभवों को मैंने एक कहानी का रूप देकर इस पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया है जिसमें पात्रों और घटनाओं को नाटकीय और रोमांचकारी बनाने के लिए छेड़-छाड़ कर संवार दिया है। यदि कोई और व्यक्ति मेरे इस अनुभव से प्रेरणा पता है या लाभान्वित होता है तो मैं अपने आप को धन्य मानूँगा और मेरे इस पुस्तक को लिखने का प्रयोजन पूरा हो जाएगा। पुस्तक का कथानक उत्तर भारत के एक इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ रहे छात्रों के इर्द-गिर्द घूमता है। यह आज से लगभग चालीस वर्ष पुराने कालखंड की घटनाओं पर आधारित है। परंतु किसी भी कालेज में पढ़ रहे छात्र इस पुस्तक का आनंद ले सकेंगे। मेरा प्रयास रहा है कि कालेज की शिक्षा पूरी कर चुके व्यक्ति भी इसे पढ़ कर अपने पुराने दिनों की याद ताजा कर इससे आनंदित हो सकें।
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