चामै दउरै पाँव रे चला लौटिके चली चुपारे अपने अपने गाँव रे मोटर गाड़ी केर चोगाडा करै कनपटी झाझर चकाचौंध बिजुरी के लाइट
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गजल-अपनो को कभी गॆर,बताया न कीजियेदिल मे नही जगह,तो सताया न कीजिये।आंखों में बसा लीजिए, काजल ही मानकरआंसू के साथ इनको,बहाया न कीजियेऎसे भला जलाकर नफरत की आग परताली मजे से बॆठ,बजाया न कीजियेमाना तुम्हारे ज