चंबल की क्षत्राणी (ठकुराइन) की जल समाधि
वैसे तो हमारे भारतवर्ष का इतिहास क्षत्रियों के त्याग और बलिदानों से भरे पड़ा है, आपको सन 1971 की एक सत्य घटना से आपको अवगत कराती हूं।
चंबल नदी के किनारे एक गाँव था जो सिकरवार राजपूतों का गाँव था, जिसमे एक ठकुराइन (क्षत्राणी ) रहती थी, उसके पति दूसरे विश्व युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गये थे और पुत्र जय वीर सिंह सन 1965 के युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गया था |
जय वीर सिंह अपने पीछे एक 12 वर्षीय पुत्र व पत्नी शारदा को छोड़ गये थे, जय वीर के शहीद होने के छह महीने बाद उनकी पत्नी स्वर्ग सिधार गई, अब परिवार में केवल जयवीर का पुत्र व माँ बचे थे।
सन 1971 में युद्ध के बादल फ़िर गर्जने लगे तो भारत माता ने राजपूतों को फिर आवाज़ लगाई, तो भारत माता की रक्षा के लिए (क्षत्रिय) राजपूतों के खून ने उबाल मारा और सेना में भरती होने के लिए आगरा चल दिए, जय वीर का किशोर पुत्र सूर्य भान भी अपने गाँव के साथियों के साथ आया था, संयोग देखिए सेना का भर्ती अधिकारी भी वो ही मेजर था, जिसकी बटालियन मैं जयवीर सिंह था और वो उसकी बहुत इज्जत करता था, उसने सूर्य भान को पहचान लिया और अपने पास बुलाया व घर का हाल चाल पूछा तो सूर्य भान ने सब कुछ बता दिया|
मेजर ने पूछा अब घर में कौन कौन है, तो सूर्यभान ने बताया मेरे अलावा बूढ़ी दादी है. सारा हाल जानने के बाद मेजर बोला की सूर्य भान हम तुमको भर्ती नही कर पायेंगे तुम घर जाओ और अपनी दादी की सेवा करो, वहा से सूर्य भान वापिस घर आया, उधर उसकी दादी बड़ी खुश बैठी थी की उसका पोता सेना में भर्ती हो कर देश की सेवा करेगा, सूर्य भान ने घर आकर दादी को सारा हाल बताया तो दादी बोली कोई बात नही है तुझे सेना में भर्ती होने से कोई नही रोक सकता,जा खाना खाकर सो जा|
दूसरे दिन दादी जगी नहा धोकर मंदिर गई और वहा से गाँव के लोगों को बुलावा भेज दिया गाँव में दादी की बड़ी इज्जत थी सारा गाँव मंदिर पर इकठ्ठा हो गया...सारा गाँव दादी को ठकुराइन कहकर बुलाता था, ठकुराइन ने सारी बात गाँव वालो को बताई और कहा की जाकर उस मेजर से कहना वो मेरी सेवा की जरूरत परवाह ना करें इसकी ज़रूरत नही पड़ेगी वो केवल भारत माता की सेवा के बारे में सोचें, मेरी सेवा से बड़ी सेवा भारत माता की सेवा है क्योकि वो मेरी भी माता है हम सब की माता है|
इतना कह कर ठकुराइन चंबल नदी के गहरे पानी में चली गई और जल समाधि ले ली, गाँव के आठ दस आदमी सूर्यभान को लेकर उस मेजर के पास पहुँचे और सारा हाल सुनाया तो वहा जितने भी लोगों ने ये सारा हाल सुना तो उनकी आँखों से अश्रुओं की धारा बह निकली, मेजर ने खड़े होकर सूर्यभान को अपने गले से लगाया और बोला ऐसी क्षत्राणी माताओं ने क्षत्रिय शेरों को जन्म दिया है और देती रहेंगी क्षत्रियों ने हमेसा अपनी तलवार की धार से इतिहास लिखा है और लिखते रहेगे...||
जय हो ऐसी बलिदानी माँ की इतिहास गवाह है हमारे देश में औरतों को जगत जननी इस लिए ही कहा जाता है,आप से निवेदन ये एक सत्य घटना है इसे ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें और इस देश के नौंजवान को अवगत कराये की क्षत्रिय क्या है||