अजूबी के देश स्वाहा की राजधानी त्रिपल स्मार्ट नगर से लौटे महागुप्तचर वक्रदृष्टि की रिपोर्ट सुनकर चाणक्य ने गहन चिन्तन करते हुए कहा- 'तो स्वाहा से जारी अजूबी के बयान के मुताबिक अँग्रेज़ लंगूरों के लिखे उद्धरण के साथ कहानी खत्म हुई!'
महागुप्तचर वक्रदृष्टि ने भयभीत स्वर में कहा- 'हाँ, महामहिम.. अब आगे करने को आपके पास क्या कुछ नहीं बचा?'
चाणक्य ने कहा- 'बचा क्यों नहीं? हमारे छाती पीट-पीट कर रोने-धोने का सीन बचा है!'
मुँहलगे महागुप्तचर वक्रदृष्टि ने दाँत निकालकर कहा- 'अशुभ काम में देरी क्यों? अब आप रोना-धोना शुरू कीजिए। मैं भी तो ज़रा देखूँ- आप ठीक-ठाक रो लेते हैं या नहीं? क्या आप रोने-धोने के लिए मेरे फ्रेम से आउट होने का इन्तेज़ार कर रहे हैं?'
चाणक्य ने मुँह बनाकर कहा- 'लड़कियों की तरह रोने-धोने वाला सीन हमारे लिए बिल्कुल सूट नहीं करेगा। इसलिए जाइए- एक घड़ा पानी लेकर आइए और देखिए- घड़े का मुँह ज़रा चौड़ा हो।'
महागुप्तचर वक्रदृष्टि ने आश्चर्यपूर्वक पूछा- 'एक घड़ा पानी क्या करिएगा, महामहिम?'
चाणक्य ने कहा- 'रोना-धोना हमारे लिए बिल्कुल सूट नहीं करेगा। इसलिए हम इस समय घड़े के पानी से अपना मुँह धुलकर अपने आँसू छिपाएँगे जैसे हिन्दी फ़ीचर फ़िल्म सागर में लव-फ़ेलियर होने पर कमल हासन ने हौदे के पानी से अपना मुँह धुलकर अपना आँसू छिपाया था।'
महागुप्तचर ने प्रसंशा करते हुए कहा- 'वाह-वाह, क्या किलिंग सीन है!'
चाणक्य ने महागुप्तचर वक्रदृष्टि को घूर कर देखा तो महागुप्तचर वक्रदृष्टि ने सकपकाकर दाँत दिखाते हुए पूछा- 'मुँह धुलने के बाद आगे आप क्या करेंगे? आपका लव-फ़ेलियर हुआ है। क्या आप दाढ़ी बढ़ाकर घूमेंगे?'
चाणक्य ने कहा- 'अच्छा याद दिलाया। मगर हम दाढ़ी बढ़ाकर नहीं घूमेंगे। लव-फ़ेलियर होने पर दाढ़ी बढ़ाकर तो सभी घूमते हैं। हम कुछ नया करेंगे। हम अपने सिर के बाल बढ़ाकर घूमेंगे। आज तक लोगों ने चाणक्य को चिकनी, चमचमाती और लाइट मारती खोपड़ी के साथ देखा है। अब बढ़े हुए बालों के साथ महादुःखी चाणक्य को देखेंगे।'
महागुप्तचर वक्रदृष्टि प्रसन्न होकर चाणक्य की जय-जयकार करता हुआ पानी लेने चला गया।