चार दिन की जिन्दगी जोे कि जदों में कैद है कितनी आजादी सेे हम अपनी हदों में कैद हैं बांट लेंगे आसमां भी गर हमें मौका मिले अब तलक तो ये जमीं ही सरहदों में कैद है तुम तो अच्छे आदमी हो ना मिलेगा कुछ तुम्हेेें नाम, पैसा और इज्ज्त सब बदों में कैद है
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