झूठा सम्मान पाने के लिए ,मैंने कभी चरित्र की इमारत नहीं खड़ी की;
लोगों को दिखाने के लिए, मैंने कभी चरित्र की खांट नहीं बुनी;
धन कमाने के लिए,मैंने कभी चरित्र का परिधान नहीं सिलवाया;
किसी को खुश करने के लिए,मैंने कभी चरित्र का जबरन चित्रण नहीं किया।
अपने को पूज्यनीय बनाने के लिए,कभी चरित्र का आडंबर नहीं रचा ;
नौकरी में बने रहने के लिए, कभी मैंने चरित्र का सहारा नहीं लिया;
विवाह करने के लिए,कभी मैंने चरित्र का बेमतलब बखान नहीं किया।
चरित्र एक उपरी आवरण नहीं ,यह तो दिल में बसा अपना आचरण है;
चरित्र पर कोई सवाल खडा करेें, उसके लिए वास्तव में यह तो चिर हरण ही है।