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अदला-बदली ( तीसरी क़िश्त )

1 नवम्बर 2022

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“अदला बदली”  ( तीसरी क़िश्त  )

(अब तक--- सरवर उधर ही तेज़ी से दौड़ परा और ऊंटो के जथ्थे की आड़ में छिपते छिपाते वह अपने देश की धरती में पहुंच गया --)

( इससे आगे--)  वहां पहुंचते ही सरवर उर्फ रामगुलाम ने सबसे पहले धरती मां की मिट्टी का माथे पर तिलक लगया। फिर मिलिटरी ड्रेस को त्यागकर सादे कपड़ों में आगे बढने लगा । मुश्क़िल से आधे घंटे चला होगा कि उसे भारतीय सेना की एक टुकड़ी ने पकड़ लिया । उस पर इल्ज़ाम लगया गया कि दुश्मन देश के जासूस हो । उसके हाथों पर सरवर खान वाला गोदना भी उसकी हबीबाबाद वाली अम्मी शाहिन बी ने गुदवा दिया था । इसके अलावा सरवर उर्फ़ रामगुलाम ने पाकिस्तान में न जाने कब तक रहना पड़ेगा यह सोचकर शहर जाकर अपना खत्ना भी करवा लिया था । इन दो सबूतों के बिना पर उसे पाक जासूस मानते हुए जैसलमेर ज़ेल में युद्ध बंदी के रूप में डाल दिया गया ।   वह चीखता रहा कि मैं एक भारतीय सिपाही रामगुलाम हूं पर उसकी बातों को सुननए वाला वहां कोई नहीं था । 

उधर रामगुलाम के पैत्रिक गांव देवकर में उनके माता पिता को इंडियन आर्मी के द्वारा बता दिया गया था कि रामगुलाम शहीद हो गया है । हालाकि उन्हें रामगुलाम का शव नहीं मिला था । 
हबीबाबाद में 9 महीने बाद सायरा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। बच्चे का नाम दिलावर खान रखा गया । 

समय गुज़रता रहा सरवस खान उर्फ़ रामगुलाम अपने ही देश की ज़ेल में सड़ता रहा । उसके पास हर दस दिनों में इंडियन फ़ौज़ के चार अधिकारी आते और उससे पाक सेना की प्लानिंग के बारे में पूछते रहते । 
रामगुलाम ने अपने माता पिता व अपने गांव देवकर का हवाला दिया तो वहां से खबर आई कि उनका पुत्र तो 2 वर्ष पूर्व ही शहीद हो गया है । ऐसा हमें सेना के अधिकारियों ने बताया है । और अपने बेटे के हक का हमें राशि भी मिलने लगी है । 
धीरे धीरे रामगुलाम उर्फ़ सरवर खान पर इंडियन आर्मी का ज़ुल्म बढता गया । और उसकी आवाज़  कमज़ोर पड़ती गई । दो सालों तक प्रताड़ना झेलते झेलते वह अपना मानसिक संतुलन भी खो बैठा । अब वो कभी लोगों को अपनी पहचान भारतीय सिपाही रामगुलाम बताता तो कभी वह अपने आपको पाक सिपाही सरवर खान बताता ।
उसकी अपील भारत सरकार के हर दफ़्तर से खारिज़ हो गई और उसे एक पाक सिपाही सरवर गुलाम ही माना गया । 

( डॉ संजय दानी दुर्ग )
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रचनाएँ
अदला-बदली (कहानी-प्रथम क़िश्त )
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रामगुलाम लड़ाई के दौरान धोखे से पड़ोसीदेश की सरहद को पार करके उनके एक गांव पहुंच जाता है।
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दूसरी क़िश्त

31 अक्टूबर 2022
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“अदला बदली”( दूसरी क़िश्त)( अब तक) आगे कभी मौक़ा मिला तो अपन मुल्क वापस जाने का तरीका ढूंढूगा । अगले दिन उसे फिर उन्हीं दस बारह लोगों ने घेर लिया और पूछने लगे कि सरवर बेटे आखिर 2 साल तुम गधे

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अदला-बदली ( तीसरी क़िश्त )

1 नवम्बर 2022
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<div><span style="font-size: 16px;">“अदला बदली” ( तीसरी क़िश्त )</span></div><div><span style="font-size: 16px;"><br></span></div><div><span style="font-size: 16px;">(अब तक--- सरवर उधर ही त

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अदला-बदली ( कहानी चौथी क़िश्त)

2 नवम्बर 2022
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“अदला बदली” ( कहानी--तीसरी क़िशत )अब तक-- रामगुलाम की अपील भारत सरकार के हर दफ़्तर से खारिज़ हो गई और उसे एक पाक सिपाही सरवर गुलाम ही माना गया । ( इससे आगे --)कई साल और गुज़रे तो भारत और पाकिस

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अदला-बदली ( कहानी चौथी क़िश्त)

2 नवम्बर 2022
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“अदला बदली” ( कहानी--तीसरी क़िशत )अब तक-- रामगुलाम की अपील भारत सरकार के हर दफ़्तर से खारिज़ हो गई और उसे एक पाक सिपाही सरवर गुलाम ही माना गया । ( इससे आगे --)कई साल और गुज़रे तो भारत और पाकिस

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अदला-बदली ( कहानी-- पांचवीं क़िशत )

3 नवम्बर 2022
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“अदला बदली” ( कहानी पांचवीं क़िशत )( अब तक-- इस बाबत मैं अंतराष्ट्रीय मानव अधिकार के सरमाएदारों के पास भी जाऊंगा और भारतीय सेना के अधिकारियों के विरुद्ध शिकायत करूंगा )इससे आगे --'इसके बाद

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अदला-बदली भ ( कहानी अंतिम क़िश्त )

4 नवम्बर 2022
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“अदला बदली” ( कहानी अंतिम क़िश्त ) अब तक-- दिलावर खान और उसके 10 साथियों को गिरफ़्तार कर लिया गया , और ज़ेल में डाल दिया गया । इससे आगे -- सरवर गुलाम जैसे ही अपने गांव हबीबाबा

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