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दूसरी क़िश्त

31 अक्टूबर 2022

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“अदला बदली”(  दूसरी क़िश्त)

( अब तक) आगे कभी मौक़ा मिला तो अपन मुल्क वापस जाने का तरीका ढूंढूगा । 

अगले दिन उसे फिर उन्हीं दस बारह लोगों ने घेर लिया और पूछने लगे कि सरवर बेटे आखिर 2 साल तुम गधे के सिंग की तरह गायब थे ? जवाब में रामगुलाम ने कहा कि मुझे ज़ेहादी तन्ज़ीम के लोग उठा कर अपने साथ ले गए थे । उन्होंने मुझे अपनी जगह में जंग की कठिन ट्रेनिंग दी है । फिर मुझे घर यह कहकर वापस भेज दिया कि जैसे ही हमें तुम्हारी ज़रूरत महसूस होगी हम तुम्हें अपने पास बुला लेंगे  । सारे लोग सरवर की बातों को सुनकर संतुष्ट हो गए ।
अगले दस दिनों में सरवर गुलाम गांव वालों से अच्छे से घुल मिल गया । उसकी अम्मी शाहिन बानो और उसके अब्बू रक़ीब खान बेहद खुश हैं कि उनका बेटा सही सलामत घर लौट आया । उसी गांव में एक लड़की थी सायरा कुरैशी जो सरवर से बहुत मुहब्बत करती थी । जिसके बारे में सारे गांव वाले जानते थे ।  सरवर के अम्मी अब्बू भी सायरा को पसंद करते थे और चाहते थे कि सायरा की शादी सरवर के साथ हो जाए। लोगों के ज़ोर देने पर एक दिन सरवर उर्फ़ रामगुलाम ने सायरा के साथ निकाह करने हेतु अपनी हामी भर दी । 6 महीने बाद शादी की तारीख तय हो गई । शादी तय होने के बाद दोनों के मिलाप में कोई अड़चन नहीं बची । दोनों एक दूसरे के इतने नज़दीक आ गए कि एक दिन सायरा ने सरवर को बताया कि वह उसके बच्चे की मां बनने जा रही है । तब लोक लाज के डर से दोनों ने पास के शहर में आयोजित सामूहिक विवाह में अपना नाम लिखवा कर जल्द ही शादी कर लिया और बाद में अपने घर वालों को अपनी शादी के बारे में बताया ।
हबीबाबाद में एक दिन पाकिस्तानी सेना के कुछ अधिकारी गण आए और गांव के जवान लोगों को सेना में शामिल होने प्रोत्साहित करने लगे । सरवर उर्फ़ रामगुलाम ने भी यह सोचकर सेना में शामिल होने हेतु कागज़ात पर दस्तख्त किए कि शायद सेना में रहूं तो मुझे अपने वतन वापस लौटने का रास्ता मिल सकता है। 

15 दिनों के बाद मिलिटरी के लोग आकर सरवर सहित बहुत सारे जवानों को ट्रेनिंग कैंप ले गए । जाते जाते उसने सायरा से कहा तुम फ़िक्र न करो मैं पहले की तरह ही जल्द सही सलामत घर आ जाऊंगा बजरंग बली की कसम । उसकी बजरंग बली की जय वाली बात सुनकर सायरा हैरान हो गई आखिर उसने बजरंग बली की जय क्यूं कहा ? बजरंग बली तो हिन्दू लोगों के आराध्य हैं ? क्या वह मेरा सरवर नहीं है , अगर नहीं है तो फिर कौन है ? पर उसका दिल कहता था कि यह मेरा ही सरवर है । 
एक महीने के बाद ही पड़ोसी देश भारत से युद्ध छिड़ गया । सरवर को अपन प्लाटून के साथ राजस्थान की तरफ़ वाली सीमा पर चौकसी के लिए लगाया गया। फिर राजस्थान बार्दर में लड़ाई शुरू हुई। सरवर लड़ाई के समय गोलियां चलाने की जगह मौक़ा ढूंढता रहा कि कैसे बार्डर के उस पार जाया जाय । आखिर उसे मौक़ा मिल गया । काली अंधियारी रात थी । दोनों तरफ़ के असलहे खत्म होने की कगार पर थे इसलिए गोलियां भी नहीं के बराबर चल रही थीं । तभी सरवर को अपनी बायीं तरफ़ 500 मिटर दूर ऊंटो का काफ़िला दिखा । सरवर उधर ही तेज़ी से दौड़ पड़ा और ऊंटो के जथ्थे की आड़ में छिपते छिपाते वह अपने देश की धरती में पहुंच गया ।

( क्रमशः  )
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रचनाएँ
अदला-बदली (कहानी-प्रथम क़िश्त )
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रामगुलाम लड़ाई के दौरान धोखे से पड़ोसीदेश की सरहद को पार करके उनके एक गांव पहुंच जाता है।
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अदला-बदली ( तीसरी क़िश्त )

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अदला-बदली ( कहानी चौथी क़िश्त)

2 नवम्बर 2022
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“अदला बदली” ( कहानी--तीसरी क़िशत )अब तक-- रामगुलाम की अपील भारत सरकार के हर दफ़्तर से खारिज़ हो गई और उसे एक पाक सिपाही सरवर गुलाम ही माना गया । ( इससे आगे --)कई साल और गुज़रे तो भारत और पाकिस

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अदला-बदली ( कहानी-- पांचवीं क़िशत )

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“अदला बदली” ( कहानी पांचवीं क़िशत )( अब तक-- इस बाबत मैं अंतराष्ट्रीय मानव अधिकार के सरमाएदारों के पास भी जाऊंगा और भारतीय सेना के अधिकारियों के विरुद्ध शिकायत करूंगा )इससे आगे --'इसके बाद

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अदला-बदली भ ( कहानी अंतिम क़िश्त )

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“अदला बदली” ( कहानी अंतिम क़िश्त ) अब तक-- दिलावर खान और उसके 10 साथियों को गिरफ़्तार कर लिया गया , और ज़ेल में डाल दिया गया । इससे आगे -- सरवर गुलाम जैसे ही अपने गांव हबीबाबा

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