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हर विषयों पर मौलिक भावाभिव्यक्ति

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... मौलिक सौंदर्यपरक पद्य रचना ...

19 नवम्बर 2015
4
1

लाल क्षितिज के उर आँगन मेंखेल रहा था थोड़ा दिनकर,मन-मंदिर में प्रेम-किरणतूने चमकाया दीपक बनकर ।नेत्र त्रिसित पुनि पुलकउठे दर्शन रमणी का करने को,भांति उसी दिनकर भी दौड़ानिशि आंचल में छिपने को ।आशा लिए निशा से बोला कुछतो मुझपे रहम करो,अपने तारा वाले गहनों कोअंग-अंग में खूब भरो ।बाजा बजा बंद आंगन मेंनीरव

... मौलिक सौंदर्यपरक पद्य रचना ...

18 नवम्बर 2015
3
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लाल क्षितिज के उर आँगन मेंखेल रहा था थोड़ा दिनकर,मन-मंदिर में प्रेम-किरणतूने चमकाया दीपक बनकर ।नेत्र त्रिसित पुनि पुलकउठे दर्शन रमणी का करने को,भांति उसी दिनकर भी दौड़ानिशि आंचल में छिपने को ।आशा लिए निशा से बोला कुछतो मुझपे रहम करो,अपने तारा वाले गहनों कोअंग-अंग में खूब भरो ।बाजा बजा बंद आंगन मेंनीरव

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