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आज फिर से ये घर परदेश हो गया,मेरा घर फिर से बड़े घर चला गया, अब बचा है सरकारी मकान दीवारे और मैं। श्रीमती जी की नानी की बरसी है तो उन्हें वहा जाना था और मैं पिछले महीने ही छुट्टी से आया हूं तो इतनी जल
हर कोई कुछ न कुछ करना चाहता है पर किसी को करते नही देखना चाहता,खुद को भी नही।हर व्यक्ति को सफाई पसंद है पर करना किसी को नहीं।आज मेरा दिन कुछ ऐसा ही रहा, मेरे मित्र को मदद की इतनी जरूरत थी जैसे बेहोश प