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मैं मध्यप्रदेश के रीवा जिले का निवासी हूं। मेरा मानना है की बात कितनी बड़ी है निर्भर करता है कितने बड़े मुंह से बोली जा रही है,इसलिए मैं ज्यादा सामाजिक राजनीति नहीं लिखता पर भावना पर मेरा अधिकार है जिससे सब संबद्ध होते है।

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छोटू , भैया

छोटू , भैया

यह कविता गांव से शहर जाकर पढ़ने वाले बच्चों के उत्साह उत्पात और उत्थान को देखते हुए मनोरंजक परिदृश्य में लिखी गई है। कही कुछ यथार्थ बाते भी है फिर भी मैं कोई संदेश देने का दावा नहीं करता हूं। जो भी किसी कस्बे या शहर जाकर पढ़े बढ़े वो पढ़े और संबद्ध ह

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छोटू , भैया

छोटू , भैया

यह कविता गांव से शहर जाकर पढ़ने वाले बच्चों के उत्साह उत्पात और उत्थान को देखते हुए मनोरंजक परिदृश्य में लिखी गई है। कही कुछ यथार्थ बाते भी है फिर भी मैं कोई संदेश देने का दावा नहीं करता हूं। जो भी किसी कस्बे या शहर जाकर पढ़े बढ़े वो पढ़े और संबद्ध ह

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उत्साह पतन

19 मार्च 2022
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छोटू बोला छोड़ दो भैया नही रहूंगा अब ए ठैयाबात बात मालिक की किच किच बैठा एक कमरे में पिच पिचरात को रोटी टेढ़ी मेढ़ी पल पल गलती की तेरी मेरीदार भात से दहल गया हूँ लगता है मैं बदल गया हूँनींद न आये का

गमन गीत

14 मार्च 2022
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भैया छोटू चले शहर रहने नए किराए घरवहाँ करेंगे खूब पढ़ाई गांव से होगी शहर चढ़ाईभैया अब ना घर आएंगे वहीं बनाएंगे खाएंगे मम्मी का है गजब तमाशा सुबह शाम बस आशा झांसाचावल दाल वही तरकारी छोड़ेंगे शाला स

14 मार्च 22, सोमवार

14 मार्च 2022
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हर कोई कुछ न कुछ करना चाहता है पर किसी को करते नही देखना चाहता,खुद को भी नही।हर व्यक्ति को सफाई पसंद है पर करना किसी को नहीं।आज मेरा दिन कुछ ऐसा ही रहा, मेरे मित्र को मदद की इतनी जरूरत थी जैसे बेहोश प

13 मार्च 22, रविवार

13 मार्च 2022
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आज फिर से ये घर परदेश हो गया,मेरा घर फिर से बड़े घर चला गया, अब बचा है सरकारी मकान दीवारे और मैं। श्रीमती जी की नानी की बरसी है तो उन्हें वहा जाना था और मैं पिछले महीने ही छुट्टी से आया हूं तो इतनी जल

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