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13 मार्च 22, रविवार

13 मार्च 2022

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आज फिर से ये घर परदेश हो गया,मेरा घर फिर से बड़े घर चला गया, अब बचा है सरकारी मकान दीवारे और मैं। श्रीमती जी की नानी की बरसी है तो उन्हें वहा जाना था और मैं पिछले महीने ही छुट्टी से आया हूं तो इतनी जल्दी तो छुट्टी मिलती नही सो उन्हे और बच्चे को वापस घर भेजना पड़ा। रेलवे स्टेशन से लौटते समय मेरे क्वार्टर के पास वाली गली से जब मैं वापस आ रहा था तो एक अजीब सी अनुभूति हुई,की अभी कल ही मैं यहां ऐसे घूम रहा था जैसे गांव का मोहल्ला हो और आज ये सब मुझे साधन और क्वार्टर एक ठिकान मात्र लग रहा है।
अक्सर अकेले होने पर यह शुरू होता है पार्टियों का दौर और फिर और फिर और। लेकिन इस बार मैंने कुछ अच्छा करने का सोचा है,दिनचर्या और सुदृढ़ बनाना है कुछ और रचनात्मक कार्य करने है,उसी कड़ी में शब्द इन का विज्ञापन देखा और प्रस्तुत है आज का यह अनुभव।

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