shabd-logo

14 मार्च 22, सोमवार

14 मार्च 2022

8 बार देखा गया 8
हर कोई कुछ न कुछ करना चाहता है पर किसी को करते नही देखना चाहता,खुद को भी नही।हर व्यक्ति को सफाई पसंद है पर करना किसी को नहीं।आज मेरा दिन कुछ ऐसा ही रहा, मेरे मित्र को मदद की इतनी जरूरत थी जैसे बेहोश पड़े व्यक्ति को प्राथमिक उपचार की पर कोई मदद करने को आगे नही आ रहा है,और हर कोई उसकी बेबसी पर राम राम भी कहे जा रहा था। आखिर मुझे भी न ही चाहते हुए पर मदद के लिए जाना पड़ा क्योंकि मुझे किसी की समस्या नहीं देखी जाती,पर ना चाहने कारण ये था कि उससे पिछले सप्ताह ही मेरी बाबरी देखी गई थी।
मेरे इस कदम से खुश तो सब थे पर कदम बढ़ाकर कोई खुश नहीं था।
ठीक इसी तरह शब्द इन में सब लिख रहे है पर पड़ना कोई नही चाहता। मैं खुद नही पढ़ता क्युकी मेरे पास भी लिखने का भी समय नहीं है।

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए