3 मई को कश्मीर के कारगिल में बकरी चराने वालों ने खबर दी कि पाकिस्तानी सैनिक भारत में घुस आए हैं. इसके बाद भारत ने टोह लेने के लिए अपने सैनिकों को वहां भेजा. पर पाकिस्तानी घुसपैठियों ने टोह लेने आए सैनिकों को मार दिया. फिर द्रास, ककसार और मुश्कोह सेक्टर में घुसपैठ की घटनाएं रिपोर्ट हुईं. साफ था पाकिस्तानी सेना कारगिल में बड़ी घुसपैठ कर चुकी थी.
इसलिए मई महीने के बीच में सेना की और टुकड़ियां कश्मीर घाटी के कारगिल सेक्टर में भेजी गईं. और अब वो लड़ाई शुरू हो गई, जिसे कारगिल युद्ध कहते हैं. मई के आखिरी हफ्ते में इंडियन एयरफोर्स भी लड़ाई में कूद गई और हवाई हमले शुरू कर दिए. पर अभी तक पाकिस्तान ही युद्ध में हावी था, क्योंकि उनका पहाड़ियों पर कब्जा था और उन्होंने ऊंचाई पर बंकर बना रखे थे. इसलिए नीचे दिख रहे भारतीय सैनिकों को निशाना बनाना आसान था.
अमेरिका मानता था कि युद्ध से जान-माल और विश्व शांति को नुकसान पहुंच रहा था. तो 15 जून को अमेरिकी प्रेसीडेंट बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान के उस वक्त प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ को फोन कर पाकिस्तानी सेना को कश्मीर से निकाल लेने को कहा. वैसे जुलाई आने तक भारत की जीत पक्की हो चुकी थी. 14 जुलाई को उस वक्त भारत के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने कारगिल ऑपरेशन में भारत की जीत का ऐलान कर दिया और इसके बाद पाकिस्तान से बात-चीत करने की बात कही गई. 26 जुलाई को युद्ध पूरी तरह से खत्म हुआ और भारत की जीत का ऐलान कर दिया गया. इसलिए हर साल 26 जुलाई को इंडिया में विजय दिवस सेलिब्रेट करते हैं.
पूरे कारगिल युद्ध के दौरान 527 इंडिया के और पाकिस्तान के 400 से ज्यादा लोग मारे गए. भारत के 1363 और 665 से ज्यादा पाकिस्तान के लोग घायल हुए.
भारत ने अपनी ये जीत कई अनमोल जानें खोकर पाई. दरअसल जीत में सबसे बड़ी भूमिका अदा करने में भारत के इन पांच जांबाज सपूतों का बहुत बड़ा योगदान था –
सबसे कम उम्र में परमवीर चक्र पाने वाले ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव
बुलंदशहर जिले के योगेंद्र ने अकेले अपने दम पर पाकिस्तानी आर्मी से दो बंकर छीन लिए थे. दूसरे बंकर पर कब्जा करते वक्त वो अकेले ही 4 सैनिकों से भिड़ गए और चारों को मार गिराया. जितनी देर उन्होंने पाकिस्तानी आर्मी को उलझाए रखा, उतनी देर में इंडियन आर्मी दूसरे बंकर पर कब्जा कर चुकी थी. जिससे टाइगर हिल पर इंडिया का कब्जा हो गया. योगेंद्र सिंह यादव ही सबसे कम उम्र में परमवीर चक्र पाने वाले सैनिक हैं. बस 19 साल की उम्र में उन्हें ये सम्मान मिल गया था. LOC कारगिल फिल्म में इनका किरदार मनोज बाजपेयी ने निभाया है. साथ ही फिल्म लक्ष्य में जो टाइगर हिल वाला सीन है, वो भी योगेंद्र की टाइगर हिल कैप्चर करने की कहानी जो उनके साथियों ने सुनाई है, उन्हीं से इंस्पायर है.कंधे और पैर में गोली लगी होने पर भी बंकर पर बंकर जीतते गए मनोज कुमार पांडेय
1/11 गोरखा रायफल्स के लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय. घर- सीतापुर, उत्तर प्रदेश. कारगिल में बाल्टिक सेक्टर के खालुबार हिल्स में ऑपरेशन के दौरान बस जुबार टॉप ही एक मेन चोटी थी, जो जीतने को रह गई थी. पर यहां मौजूद पाकिस्तानी सैनिक गोलियों की बारिश किए जा रहे थे. बहुत कठिन वक्त था, क्योंकि पाकिस्तानी सैनिक ऊपर थे और ये लोग नीचे थे. दो पहाड़ियों के बीच की जगह से वो अपनी सैनिक टुकड़ियों को लेकर जुबार टॉप पर पहुंचे और दो सैनिकों से जूझ गए. उस वक्त उनके कंधे और पैर में गोली लगी हुई थी. फिर भी उन्होंने दोनों को मार गिराया. इतनी देर में उनकी टुकड़ी पहले बंकर पर कब्जा कर चुकी थी. इस तरह वो एक के बाद एक बंकर जीतते गए, फिर कुछ देर में एक बंकर पर कब्जा करते समय घावों के चलते वो बेहोश होकर गिर पड़े. पर जहां वो गिरे, वही आखिरी बंकर था. तब तक उनके सैनिक पूरे जुबार टॉप पर कब्जा कर चुके थे. 24 की उम्र में 3 जुलाई को मनोज शहीद हो गए. उनके आखिरी शब्द थे न छोडूं जिसका नेपाली में मतलब होता है छोड़ना नहीं! वो तब तक 4 लोगों को मार चुके थे, तभी एक बम उनके माथे पर आकर लगा और वो शहीद हो गए. भारत सरकार ने मनोज पांडेय की अद्वितीय बहादुरी के लिए मरने के बाद उन्हें देश के सबसे बड़े सेना सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा. LOC कारगिल फिल्म में इनका किरदार अजय देवगन ने निभाया है.जिसकी कही बातें मुहावरे बन गईं – कैप्टन विक्रम बत्रा
कैप्टन विक्रम बत्रा, 13 JAK रायफल्स से थे. वो पालमपुर, हिमाचल प्रदेश के रहने वाले थे. या तो मैं लहराते तिरंगे के पीछे आऊंगा. या तिरंगे में लिपटा हुआ आऊंगा. पर मैं आऊंगा जरूर ये दिल मांगे मोर हमारी चिंता मत करो, अपने लिए प्रार्थना करो बत्रा के शहीद होने से पहले आखिरी शब्द थे- जय माता दी LOC कारगिल फिल्म में कैप्टन बत्रा का रोल अभिषेक बच्चन ने निभाया है. कारगिल के पांच इंपॉर्टेंट पॉइंट जीतने में इनका मेन रोल था. इन जीतों की वजह से वहां पर इंडिया की स्ट्रेटेजिक पोजीशन धांसू हो गई. उन्होंने एक पॉइंट पर घायलों को बचाने का भी काम किया. ऐसे ही एक ऑपरेशन के दौरान अपने साथी सैनिक को उन्होंने कहा था कि तू बच्चेदार है तू पीछे जा और तभी सामने से आ रही गोली उन्होंने अपने ऊपर ले ली. इस तरह बत्रा शहीद हो गए. बाद में परमवीर चक्र, मरणोपरांत,
कैप्टन विक्रम बत्रा की आदत थी कि अपनी बटालियन में जोश लाने को वो मुहावरे बोला करते थे. कई बार वो कुछ भी बोल देते थे, जो मुहावरे मान लिए जाते थे. ऐसे ही उनके कही ये बातें बहुत फेमस हैं –तीन पाकिस्तानी सैनिकों को अकेले मार गिराने वाला रायफलमैन संजय कुमार
13 JAK रायफल्स के रायफलमैन संजय कुमार, बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश के रहने वाले. एक बंकर कब्ज़ा करने में ही संजय की छाती और हाथ में कई गोलियां लग गई थीं. फिर भी वो आगे बढ़े और तीन पाकिस्तानी सैनिकों से अकेले जूझ गए. तीनों को उन्होंने अकेले मार दिया. इसके बाद वो दूसरे बंकर की ओर बढ़े. मशीन गन उठाकर अकेले ही दूसरे बंकर पर कब्ज़ा कर लिया. एरिया फ्लैप टॉप पर इस तरह से कब्ज़ा हो गया. इन्हें भी भारत सरकार ने इन्हें जिंदा रहते ही परमवीर चक्र से नवाजा. फिल्म LOC कारगिल में इनका रोल सुनील शेट्टी ने निभाया है.पाकिस्तानी सेना को खदेड़ने वाला विक्रम बत्रा के साथी कैप्टन अनुज नायर
17 जाट रेजीमेंट के कैप्टन अनुज नायर, दिल्ली का छोरा. इनकी मौत भी टाइगर हिल ऑपरेशन के वक़्त कैप्टन बत्रा के साथ हुई थी. पिम्पल कॉम्प्लेक्स एरिया को बचाने के दौरान. जिसमें ये कामयाब भी हुए और पाकिस्तान को अपने कदम पीछे हटाने पड़े. मरने के बाद आर्मी का दूसरा सबसे बड़ा गैलेंट्री अवॉर्ड महावीर चक्र इन्हें दिया गया. LOC कारगिल में इनका रोल सैफ अली खान ने निभाया है. 2003 में बनी फिल्म धूप भी इन्हीं पर बेस्ड है. जिसमें ओम पुरी ने इनके पापा का रोल किया है. साभार : The Lallantop