दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को इस देश से बहुत प्यार मिला. लेकिन स्कूल में पढ़ाई के दौरान उन्हें मुसलमान होने की वजह से भेदभाव का सामना करना पड़ा था.
अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘माय लाइफ’ में उन्होंने लिखा है कि एक बार मुसलमान होने की वजह से उनकी सीट बदल दी गई थी. दरअसल रामेश्वरम एलीमेंट्री स्कूल में अब्दुल (कलाम) की दोस्ती एक ब्राह्मण छात्र रामनाधा शास्त्री से हो गई थी. दोनों क्लास में साथ-साथ बैठते थे. वे साथ में नाव बनाते और उस पर चींटे और दूसरे कीड़ों को सवारी करवाते.
एक बार स्कूल में एक नए टीचर आए. उन्होंने पहनावे से जान लिया कि एक ब्राह्मण लड़के के साथ एक मुस्लिम लड़का बैठा है. वह इससे खुश नहीं थे. कलाम लिखते हैं, ‘उन्होंने मुझे उठाकर कहीं और बैठा दिया. मैं हैरान और दुखी था. मुझे याद है कि मैं रो पड़ा था क्योंकि मुझसे मेरे बेस्ट फ्रेंड के साथ वाली सीट छीन ली गई थी. और किसे पता था कि हिंदू और मुसलमान साथ-साथ नहीं बैठ सकते?’
रामनाधा शास्त्री के पिता रामेश्वरम शिव मंदिर में मुख्य पुजारी थे. उसी शाम उनको इस घटना के बारे में पता चल गया. उन्होंने कलाम के पिता से बात की. फिर दोनों स्कूल गए और उस टीचर से कहा कि उन्हें धर्म को क्लासरूम में नहीं लाना चाहिए. बच्चों को साथ-साथ पढ़ते और खेल ते हुए बड़े होना चाहिए, आस्थाओं के टकराव के बिना. टीचर बात को समझ गए और दोनों को फिर से पास-पास बैठा दिया गया.
इस मिठाई के दीवाने थे अब्दुल कलाम
क्या आप जानते हैं कि कलाम की फेवरेट मिठाई कौन सी थी?
कलाम ने लिखा है कि उन्हें घर की बनी पोली (चपाती जैसा मीठा पकवान) बहुत पसंद थी. बचपन में खास मौकों पर उनकी मां पोली बनाया करती थीं. चौथी क्लास में कलाम को मैथमैटिक्स और साइंस में फुल मार्क्स मिले तो उनके टीचर ने घर आकर यह सूचना दी.
उस शाम उनके घर में पोली बनी. उसे याद करते हुए कलाम ने लिखा है, ‘हम सबको पोली बहुत पसंद थी. हमें बताया गया कि हमने बहुत खा लिया है और पेट दर्द न हो जाए, इसलिए हमें सोने के लिए भेज दिया गया. मैं जब भी साउथ इंडिया जाता हूं, मेरे दोस्त घर की बनी पोली मेरे लिए लाते हैं. मैं अपने शेड्यूल से थोड़ा समय निकालकर पोली आज भी खाता हूं और बचपन की ढेर सारी यादें ताजा हो जाती हैं.’
साभार : The Lallantop