पिछले साल नैंडोज़ चिकेन (चिकेन के लिए प्रचलित एक अफ्रीकी रेस्टोरेंट चेन) का अखबार में ऐड छपा था. जिसमें एक मुर्गा कह रहा था:
‘आप हमारे ब्रेस्ट, कूल्हे और टांगें पकड़ सकते हैं. हम तो विरोध भी नहीं करेंगे.’
ये कहना न होगा कि ये ऐड पुरुषों की ओर केंद्रित था (क्योंकि हम अभी समलैंगिकता को लेकर इतने सहज नहीं, कि पुरुष को पुरुष और स्त्रियों को स्त्रियों की जांघें पकड़ने के बारे में बात करें). वो पुरुष जिन्हें बिना औरतों की मर्ज़ी के उनके स्तन और जांघें छूने को नहीं मिलते. ऐड परोक्ष रूप से ये कहता था कि यहां आपको मजे लेने के लिए ‘पीड़ित’ की इजाज़त की ज़रुरत नहीं है. और ये भी कहना न होगा कि किस तरह यहां रेप जैसे जघन्य और हिंसक क्राइम को बड़ी आसानी से बढ़ावा दिया जा रहा था. इसके साथ ही सेक्स के लिए मना करने वाली लड़कियों का मजाक उड़ाया जा रहा था.
ये ऐड आज अचानक इसलिए याद आया, क्योंकि बात कंसेंट यानी सहमति की आई. आज न्यू यॉर्क टाइम्स में एक ऐसे रोबोट के बारे में पढ़ा, जिसके साथ पुरुष सेक्स कर सकते हैं.
कोई भी पुरुष या औरत किसी रोबोट या खिलौने के साथ सेक्स करे, इसमें कोई बुराई नहीं है. डिल्डो और वाइब्रेटर जैसे टॉयज आज से नहीं, कई सालों से अस्तित्व में हैं. मगर जो बात यहां परेशान करती है, वो ये नहीं कि एक ‘सुंदर’ औरत जैसी दिखने वाली गुड़िया के साथ पुरुष सेक्स करेंगे. परेशान करने वाली बात ये है कि इस रोबोट को इस तरह प्रोग्राम किया गया है कि पहली बार उसके प्राइवेट पार्ट को छूते ही वो गुड़िया असहमति ज़ाहिर करेगी.
‘फ्रिजिड फैरा’. अनुप्रास के भरा हुआ नाम. दाम 10 हजार डॉलर यानी लगभग 6 लाख रुपयों में इसे खरीदकर आप इसके साथ सेक्स कर सकते हैं. ऐसा नहीं कि ये रोबोट आपको छूने के लिए मना ही करेगी. कंपनी ‘ट्रू कम्पैनियन’ के मुताबिक़ इसमें कई सारी सेटिंग हैं. जिसमें से एक सेटिंग ये भी है, कि आप इसे असहमति वाले मोड पर लगा दें. ऐसे में ये आपके छूते ही कहेगी, ‘मुझे छोड़ दो, मुझे मत छुओ.’
आपको ‘फ्रिजिड’ का अर्थ भी बता दें. इस शब्द का मतलब होता है एक ऐसी औरत जो सेक्स के प्रति उत्सुकता न दिखाए. बल्कि उसके खिलाफ हो.
रोबोट को बनाने वाले कहते हैं, अगर औरतों के पास वाइब्रेटर हो सकता है, तो मर्दों के पास सेक्स डॉल क्यों नहीं. सही बात है, पुरुषों के सेक्स टॉय हों. मगर एक पुरुष के सामने सिर्फ उसके मजे के लिए एक प्लास्टिक की ऐसी औरत रख देना, ख़ास जिसकी असहमति से उत्तेजित हो पुरुष उसके साथ सेक्स करें, क्या आपको रेप के निकट नहीं लगता?
बहुत से लोग शायद ये भी कहें कि वो कोई असल औरत नहीं, वो तो महज रोबोट है. ये सच है कि वो रोबोट है और असहमति के बावजूद उसकी प्लास्टिक योनी में वीर्य गिराने से किसी औरत के मानवाधिकारों का हनन नहीं होता. मगर जो चिंता का विषय है वो ये कि लोगों को असहमत होने वाली औरतें पसंद आ रही हैं. जबरन सेक्स करना, औरत को उसकी मर्ज़ी के बिना पकड़कर गुलाम बना लेना लोगों को पसंद आ रहा है.
न्यू यॉर्क टाइम्स ने इंगलैंड की शेफील्ड यूनिवर्सिटी में रोबोटिक्स पढ़ाने वाले प्रफेसर नोएल शार्की से बात की. शार्की कहते हैं कि कुछ लोग इस पर आपत्ति जताते हैं. वहीँ कुछ कहते हैं कि असल औरतों का रेप करने से बेहतर है रोबोट का रेप कर उसपे भड़ास निकाल लो.
इसका तो अर्थ यही हुआ, कि रेप गलत चीज नहीं है. औरत न मिले तो रोबोट का कर दो.
हम एक ऐसे समाज में रह रहे हैं जहां लोग रेप को लेकर इतने नॉर्मल हैं कि आज भी उसे औरत की गलती बताते हैं. शादी के बाद हुए रेप को कानूनन रेप नहीं मानते. औरतों और कमजोर पुरुषों का तो रेप करते ही हैं, जानवरों को भी नहीं छोड़ते. लगभग 3 साल पहले ख़बरों में आया था कि मध्य प्रदेश के बेतूल डिस्ट्रिक्ट में एक आदमी को गाय का रेप करने के लिए गिरफ्तार किया गया. तो रोबोट क्या चीज है!
जब हम कहते हैं कि किसी रोबोट का रेप करने में क्या बुराई है, हम ये कह रहे होते हैं कि बेचारे पुरुष हैं, अपनी वासना ही तो मिटा रहे हैं. मगर हम ये भूल जाते हैं कि रेप वासना नहीं, हिंसा है. रेप का अर्थ ये नहीं होता कि आज मैं अपनी कामुकता मिटाने जा रहा हूं. रेप का अर्थ ये होता है कि मैं तुमसे ज्यादा ताकतवर हूं और अपना लिंग तुम्हारे शरीर में घुसेड़कर मैं अपनी सत्ता स्थापित कर सकता हूं. अगर गुड़ियों के साथ सेक्स महज वासना मिटाना होता तो उनकी असहमति की जरूरत न पड़ती. मादकता भरी, सेक्स के मजे लेती गुड़ियों में सभी खुश रहते. मगर असहमति वाली गुड़ियों की डिमांड हमें हमारे अंदर कूट कूटकर भरे रेप कल्चर के बारे में बताता है.
मुझे ख़ुशी है कि ये गुड़िया इतनी महंगी है कि लोग से खरीदने के पहले सौ बार सोचेंगे. मगर ये और भी ज्यादा डराने वाला है कि ऐसे टॉय बन रहे हैं, बिक रहे हैं.
साभार : The Lallantop