देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम कठिन संघर्ष से फर्श से अर्श तक पहुंचे. लेकिन एक समय वह एक ऐसे काम में करियर बनाना चाहते थे जो समाज में दोयम दर्जे का माना जाता है.
जी हां, बचपन में वह पेड़ पर चढ़कर नारियल तोड़ने को अपना पेशा बनाना चाहते थे. ‘रेड टर्टल’ प्रकाशन से छपी अपनी बायोग्राफी ‘माय लाइफ’ में उन्होंने बताया है कि बचपन में वह किसी को पेड़ पर चढ़कर नारियल तोड़ता देख बहुत खुश हो जाते थे.
उन्होंने नारियल तोड़ते हुए देखने का अपना अनुभव लिखा है. उनके मुताबिक, ‘मेरी पायलट बनने की इच्छा से बहुत पहले, मैं सोचता था कि बड़े होकर नारियल के पेड़ों पर चढ़ने वाला बनूंगा और यह मेरे लिए एक शानदार पेशा होगा. आखिर कोई भी उनसे ऊंचा नहीं चढ़ सकता और पेड़ों की चोटी से आप दूर-दूर तक देख सकते हैं.’
एपीजे अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व इसलिए निखरा क्योंकि बचपन में वह हर चीज पर सवाल करते थे. उन्होंने कई बार बताया कि उनका मन सवालों से भरा रहता था, जिन्हें वह अपने बड़े-बुजुर्गों से पूछा करते थे.
बचपन में किन सवालों से भरा था कलाम का दिमाग?
कलाम ने लिखा है कि वह बहुत सपने देखते थे और उन्हें समुद्र के किनारे पर चिड़ियों और बादलों को देखते हुए अकेले वक्त बिताना पसंद था. इस दौरान उनका दिमाग हमेशा सवालों से लबरेज रहता था. ये सवाल इस तरह के थे:
1. पक्षी क्यों उड़ते हैं और हम क्यों नहीं?
2. सिर्फ पंखों को हिलाने से कोई कैसे आसमान में उड़ सकता है?
3. क्या दिन के खत्म होने पर सूरज सच में समुद्र में गिर जाता है?
4. समुद्र की लहरें कहां से आती हैं और कहां को जाती हैं?
कलाम ने ये सवाल बड़ों से पूछे. जब उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिले तो उन्होंने ये जवाब किताबों में खोजने की कोशिश की. इस तरह मासूम जिज्ञासाओं ने उनकी किताबों और वि ज्ञान में रुचि पैदा की. पक्षी के उड़ने से शुरू हुई जिज्ञासा से शुरू हुआ सफर एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने पर पहुंचा और वहां भी नहीं रुका. आगे की कहानी आप जानते हैं.