ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मा दुनिया बनाने वाले हैं और शिव नाश करने वाले. लेकिन आपको पता है कि एक बार शिव ने ब्रह्मा का नाश करने के लिए उनकी मुंडी ही काट दी थी. ये कहानी “शिव के सात रहस्य” किताब में आई है. हिंदू माइथॉलजी के जानकार देवदत्त पटनायक ने लिखी है.
कहानी ये है. ब्रह्मा की बेटी प्रकृति. इनको ब्रह्मा शतरूपा कहते थे. काहे कि इनके सैकड़ों रूप हैं. कहते हैं ब्रह्मा प्रकृति यानी शतरूपा को अपने कंट्रोल में करने के लिए उसके पीछे पड़ गए. बृहदारण्यक उपनिषद में लिखा है. कि शतरूपा जानवरों का रूप धरकर ब्रह्मा से बचकर भागती हैं. पीछे पीछे ब्रह्मा भी उसी जानवर का रूप धारण कर लेते हैं. जैसे शतरूपा हंसिनी बनती है तो ब्रह्मा बतख बन जाते हैं. जब वो गाय बनती है तो ब्रह्मा सांड बनकर पीछे पड़ जाते हैं. शतरूपा घोड़ी बनती है तो ब्रह्मा घोड़ा, शतरूपा चिड़िया बनती है तो ब्रह्मा बाज बनकर पीछे पड़े रहते हैं.
शिव को पता चला. कि ब्रह्मा गंदी हरकत पर उतर आए हैं. बड़ी जोर से चीखे. इसी दहाड़ के कारण उनको रुद्र कहा जाता है. यानी बहुत गुस्से में आ जाते हैं. ब्रह्मा का अपने ऊपर कंट्रोल नहीं है. उन्होंने अपने चार सिर उगा लिए. ताकि चारों दिशाओं में नजर रख सकें. जहां कहीं भी शतरूपा जाए उसे देख सकें.
रुद्र यानी शिव ने ब्रह्मा की तरफ घूरकर देखा. ब्रह्मा इससे और चिढ़ गए. शिव को इग्नोर करने के लिए उन्होंने चारों सिरों के ऊपर एक सिर और निकाल लिया. अब भोले का भोलापन छूट गया. कहा कि ब्रह्मा तो निहायत बदतमीजी पर उतर आए हैं. दौड़कर उनका पांचवां सिर पकड़ा और नाखूनों का इस्तेमाल करते हुए उखाड़ लिया. उस खोपड़ी को शिव अपने हाथों में रखे रहते हैं. इसीलिए उनको कापालिक कहा जाता है. ये खोपड़ी धरती पर रहने वाले इंसानों से देवताओं तक को उनकी औकात बताती है. कि बेट्टा अगर प्रकृति से छेड़खानी की तो ये हाल होगा.