बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर लगे करप्शन के आरोपों पर बड़ा फैसला लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. नीतीश के इस इस्तीफे के साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव में निर्णायक बहुमत हासिल करने वाले महागठबंधन के ताबूत में भी आखिरी कील ठुक गई है. राजनीति क हलकों में अब सवाल यही है कि अब बिहार में मध्यावधि चुनाव होंगे या फिर नए राजनीतिक समीकरणों के चलते नई सरकार अस्तित्व में आएगी. राजनीतिक विश्लेषकों और पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम को देखें तो दूसरे विकल्प की संभावना ज्यादा नजर आती है और माना जा रहा है कि नीतीश ने इस्तीफे से पहले ही मुख्यमंत्री पद की अपनी कुर्सी सुरक्षित कर ली है.
विधानसभा में सीटों का गणित
बिहार विधानसभा में आंकड़ों का गणित देखें तो लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल को 80 सीटें मिलीं जबकि जनता दल यूनाइटेड को 71 सीटें मिलीं. कांग्रेस को 27 सीटें मिलीं जबकि विपक्षी भारतीय जनता पार्टी को 53 सीटें मिलीं. 243 विधानसभा वाली बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा 122 सीटों का है. अगर नीतीश के 71 विधायकों के साथ बीजेपी के 53 विधायक जोड़ लिए जाएं तो आंकड़ा 124 तक हो जाता है. इसके अलावा एनडीए के घटक दल जैसे लोकजनशक्ति पार्टी के 2, राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के 2, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के 1 विधायक का समर्थन भी इस गठबंधन को मिलना तय है.
राज्यपाल के सामने क्या हैं विकल्प
नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. अब राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी के सामने नई सरकार के गठन की चुनौती है. परंपरा के अनुसार उन्हें विधानसभा में सबसे बड़े दल राष्ट्रीय जनता दल को सरकार बनाने को बुलाना चाहिए लेकिन राज्यपाल इससे पहले आरजेडी से उसके समर्थक विधायकों की लिस्ट मांग सकते हैं. आंकड़े साफ हैं कि लालू की पार्टी के पास सरकार बनाने लायक विधायक नहीं हैं. उनके पास खुद की 80 सीटें हैं जबकि कांग्रेस के 27 व अन्य एक-दो सीटें मिलाकर वे 122 के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच सकते. ऐसे में राज्यपाल के पास फिर नीतीश कुमार ही विकल्प होंगे.
नीतीश बनाएंगे बीजेपी संग सरकार
बिहार में मध्यावधि चुनाव हों इसकी संभावना कम है. ऐसे में बहुत संभावना इसी बात की है कि नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मिलकर दोबारा सरकार बना सकते हैं. बीजेपी पहले भी कई बार संकेत दे चुकी है कि उसे नीतीश से कोई समस्या नहीं है और अगर नीतीश कुमार लालू यादव का साथ छोड़ते हैं तो वो उनकी सरकार को समर्थन दे सकती है. ऐसे में बिहार में एक बार फिर जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की सरकार देखने को मिलेगी जो लोकसभा चुनाव से ऐन पहले तक राज्य पर राज कर रही थी. कहने का अर्थ यही है की नीतीश ने अभी भले ही इस्तीफा दे दिया हो लेकिन मुख्यमंत्री की उनकी कुर्सी तकरीबन सुरक्षित रहने वाली है.