आज नया सूरज उग आया जागा हर इन्सान
,
धीरे धीरे खोल रहा है पलके हिदुस्तान |
अपनी धरती अपना अम्बर , अपने चाँद सितारे ,
मुस्कायें तो फूल बरसते , रोयें तो अंगारे,
इसी लिए आँखों में आंसू , मन में स्वर्ण विहान |
आज नया सूरज उग आया ......
काश्मीर की शालें अपनी तिब्बत का पशमीना,
अभी अजन्ता में गीला है , अपना खून पसीना |
हमनें दी है ताजमहल के ओठों को मुस्कान |
आज नया सूरज उग आया ........
चना मटर जौ गेहूं सरसों , माखन मिश्री ताजा
,
जो धरती से पैदा करता , वह धरती का राजा |
हल ,श्रमिकों के जोर पर करवट लेगा हिदुस्तान |
आज नया सूरज उग आया .....
मेरी छैनी का जादू , मेरी भाली का टोना ,
पत्थर को भगवान बना दे औ` माटी को सोना |
सतरंगी संस्कृति कर रही दुनियां में यश गान |
आज नया सूरज उग आया .....