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गीत

17 अप्रैल 2022

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 गीत  

आओ आज वहां चलते हैं | 

 जहां प्यार की गंगा बहती ,  

सब हंस कर मिलते जुलते हैं | 

 आओ आज वहां चलते हैं | 

छोटे छोटे घर झौंपड़ियाँ ,  

छोटे छोटे स्वप्न सजीले | 

बस कैसे भी हो मैं कर दूं , 

कर अपनी बिटिया के पीले | 

 हर दिन बस कल की चिंता में , 

 मिट्टी के चूल्हे जलते हैं | 

फूलों कलियों जैसा बचपन ,

 भविष्य खोजता गलियारों में | 

 भाल लिखी रेखाएं रोतीं ,  

 सब कुछ गुम है अंधियारों में | 

हर पल घुटन निराशा , जिनको - 

 आंसू के मोती मिलते हैं | 

कहीं जैन मन्दिर गुरु द्वारे , 

साईं बाबा शिरडी वाले | 

कहीं चर्च, शिव मन्दिर, मस्जिद , 

बौद्ध मठों के भवन निराले | 

कहीं न कोई भेद मनों में ,  

बस मीठे रिश्ते पलते हैं | 

कोई धर्म जाति हो कोई , पर मन गंगा जैसा निर्मल |  

 कितने भी अभाव सन्मुख हों , 

 डिगता नहीं सत्य का आँचल | 

 श्रम -मन्दिर की पूजा , जिसमें -  

 आशा के दीपक बलते हैं |                                                                                                                             

रचना -- आलोक सिन्हा   

भारती

भारती

बहुत ही बढ़िया

17 अप्रैल 2022

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मुक्तक

14 सितम्बर 2015
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वक्त की चाल चल ही जाती है ,गम की सूरत बदल ही जाती है ,सख्त से सख्त चोट खाकर भी-ज़िन्दगी फिर सँभल ही जाती है **************************जिस तरह कोई निर्धन लाचार जीर्ण वस्त्र तार तार सीता है ठीक वैसे ही दुःख अभावों में आदमी आस लेके जीता है

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मुक्तक

24 सितम्बर 2015
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भाग्य में अपने क्या बस काली रात है नयन ने पायी आँसू की सौगात है बस ऊँचे भवनों तक आता उजियारा गाँव में अपने उगता अजब प्रभात है

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मुक्तक

8 दिसम्बर 2015
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आंसुओं के घर शमा रात भर नहीं जलती आँधियोँ हों तो कली डाल पर नहीं खिलती धन से हर चीज़ पाने की सोचने वालो मन की शान्ति किसी दुकान पर नहीं मिलती

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मुक्तक

20 दिसम्बर 2015
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भाग्य में अपने क्या बस काली रात है नयन ने पायी आँसू की सौगात है बस ऊँचे भवनों तक आता उजियारा गाँव में अपने उगता अजब प्रभात है

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मुक्तक

11 मई 2016
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अंधेरों के दुःख दर्द सूरज से कहते हो तुम नाव कैसे डूबी लहरों से पूछते हो तुम छल से जिस मगर ने सब खाई चुरा के मछली सत कथन की उससे क्या उम्मीद करते हो तुम 

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डा .कुंवर बेचेन की कुछ पंक्तियाँ व् शेर

9 सितम्बर 2016
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मत कर यहाँ सिंगार , द्वार पर खड़ा हुआ पतझार , चार दिन की है सिर्फ बहार || दुनियां में हर फूल झूमता खिल कर मुरझाने को , दुनियां में हर सांस जागती , थक कर सो जाने को | जीवन म

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