अंधेरों के दुःख दर्द सूरज से कहते हो तुम
नाव कैसे डूबी लहरों से पूछते हो तुम
छल से जिस मगर ने सब खाई चुरा के मछली
सत कथन की उससे क्या उम्मीद करते हो तुम
11 मई 2016
अंधेरों के दुःख दर्द सूरज से कहते हो तुम
नाव कैसे डूबी लहरों से पूछते हो तुम
छल से जिस मगर ने सब खाई चुरा के मछली
सत कथन की उससे क्या उम्मीद करते हो तुम
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सेवा निवृत प्रधानाचार्य शिक्षा एम ए-( इतिहास , हिंदी ) जन्म 15अगस्त1942; बुलंदशहर | वर्तमान में बेटे के पास साहिबाबाद में | रुचियाँ - कविताएँ ,कहानियां ,व्यंग्य ,शब्दचित्र , गजल , मुक्तक आदि लिखने मैं बचपन से अभिरूचि | अनेक कवितायेँ गीत लेख कहानियां प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित | एक कविता संग्रह मन की वीथियाँ प्रकाशित व दो कहानी संग्रह लगभग प्रकाशन के लिए तैयार | D