गीत
याद न तब भूली जायेगी |
रवि का रथ ओझल होने पर ,
सांझ अनमनी सुधियाँ लेकर ,
बैठी विकल चकोरी कोई ,
तारों से मन बहलायेगी |
याद न तब भूली जायेगी |
मुस्काकर दो पल आंगन में ,
मौन दुपहरी के दामन् में ,
कोई कलिका जब खिलने से -
पहले ही मुरझा जायेगी |
याद न तब भूली जायेगी |
धीरे से उपवन में आकर ,
गरम गरम पंखुरी सहलाकर ,
शीतल पवन धूप से व्याकुल ,
फूलों को जब दुलरायेगी |
याद न तब भूली जायेगी |
निशि भर कभी किसी निवास से ,
घर के बिलकुल बहुत पास से ,
शहनाई की मीठी मीठी ,
धुन जब कानों में आयेगी |
याद न तब भूली जायेगी |
पास किसी तरु की डाली पर,
अपनी मस्ती में इठलाकर ,
मधुऋतु में जब काली कोयल .
गीत मगन होकर गायेगी |
याद न तब भूली जायेगी |
थकन मिटाने को निज तन की ,
पीड़ा पीकर के जीवन की ,
दो पल जब निशि की छाया में ,
सारी दुनियां सो जायेगी |
याद न तब भूली जायेगी |
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