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याद न तब भूली जाएगी

22 सितम्बर 2021

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गीत

            याद न तब भूली जायेगी |

रवि का रथ ओझल होने पर ,

सांझ अनमनी सुधियाँ लेकर ,

बैठी विकल चकोरी कोई ,

तारों से मन बहलायेगी |

             याद न तब भूली जायेगी |

मुस्काकर दो पल आंगन में ,

मौन दुपहरी के दामन् में ,

कोई कलिका जब खिलने से -

पहले ही मुरझा जायेगी |

                 याद न तब भूली जायेगी |

धीरे से उपवन में आकर ,

गरम गरम पंखुरी  सहलाकर ,

शीतल पवन धूप से व्याकुल ,

फूलों को जब दुलरायेगी |

                 याद न तब भूली जायेगी |

निशि भर कभी किसी निवास से ,

घर के बिलकुल बहुत पास से ,

शहनाई की मीठी मीठी ,

धुन जब कानों में आयेगी |

               याद न तब भूली जायेगी |

पास किसी तरु की डाली पर,

अपनी मस्ती में इठलाकर ,

मधुऋतु में जब काली कोयल .

गीत मगन होकर गायेगी |

               याद न तब भूली जायेगी |

थकन मिटाने को निज तन की ,

पीड़ा पीकर के जीवन की ,

दो पल जब निशि की छाया में ,

सारी दुनियां सो जायेगी |

                याद न तब भूली जायेगी |

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आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

बहुत बहुत धन्यवाद प्रज्ञा जी

28 सितम्बर 2021

Pragya pandey

Pragya pandey

बहुत सुंदर कविता है सर🙏

22 सितम्बर 2021

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मुक्तक

14 सितम्बर 2015
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वक्त की चाल चल ही जाती है ,गम की सूरत बदल ही जाती है ,सख्त से सख्त चोट खाकर भी-ज़िन्दगी फिर सँभल ही जाती है **************************जिस तरह कोई निर्धन लाचार जीर्ण वस्त्र तार तार सीता है ठीक वैसे ही दुःख अभावों में आदमी आस लेके जीता है

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मुक्तक

24 सितम्बर 2015
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मुक्तक

8 दिसम्बर 2015
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मुक्तक

20 दिसम्बर 2015
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भाग्य में अपने क्या बस काली रात है नयन ने पायी आँसू की सौगात है बस ऊँचे भवनों तक आता उजियारा गाँव में अपने उगता अजब प्रभात है

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मुक्तक

11 मई 2016
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