हाथो मे थाम्हे है ,तिरंगा झंडा हम दुश्मनो हमे बताओ न ,झुकेगे न हम रास्ता दिखने बालो मंजील न बता खुद पथिक बन गाऊ जमाने की रौनक से क्या भरोसा तेरा है मिले हो दुश्मनो से अपना बनाने का कभी क्रोशिश तु न कर मै परिंदा हुँ ,ऐसी गलत पाव न पसार गर्दीश मे रहने बालो संम्भल जा जारा मुलाकात जब होगी,झुकेगे पांव पर हवाओ तु झोका न दे ,सम्भल जा जरा पर्वतो से कहुँगा ,रोक दो झोको को सांस जाये मगर टुट न जाये मेरा बचन खुनो से सिंचा हुँ ,इस चमन को हम झुकेगा न झंडा प्राण चल भी जाये तो दोस्तो आओ मिलकर जन गण गाये हम सरफरोसी की तमना जगा बैठे हम अन्तिम सांस तक लडते रहेगे हम क्रान्ति कह रहा है ,नि्भाऐगे हम क्रान्तिराज बिहारी