सब को दिल मे बसाना नही चाहिए प्रेम करता उसे प्यार देना चाहिए आँखो की शरारत निभाना चाहिए किसी को दिल को दुखना नही चाहिए ! आदमी हो गरीव पर प्रेम निभाना चाहिए किस्मत के लकीरे लिखना चाहिए, दोस्ती मे धोखा शब्द न आना चाहिए प्रेम करो तो उसे निभाना चाहिए! लाख आये सितम रोकना न कदम हवाओ की झोका शितल चाहिए जैसे बती जल कर भी रोशनी देता गैरो से भी रिस्ते निभाना चाहिए ! गरीवो को सताना नहि चाहिए, अमीरो को घमंड न आना चाहीए, समय की घडी घुमता सब के लिए रिस्तो मे करवाहट न आना चाहीए ! मीन रहता जल मे ंजिंदगी सदा लहरे समुद्र मे न आना चाहिए दुख कितने आये जिंदगी मे भला मुशिवतो से लडना आना चाह्ए ! किसी को दिल को दुखना न आना चाहिए! भाई कितनो दुश्मन हो भला कोई राज छिपाना नहि चाहिए घर मे कितनो कलेश हो भरा गैरो को बताना नही चाहिए ! कवि -क्रान्तिराज बिहारी दिनांक -२४-१-२०२३