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धार्मिक

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धार्मिक एवं पौराणिक मान्यता के अनुसार जब पृथ्वी पर पाप बहुत अधिक बढ़ जाएगा। तब दुष्टों के संहार के लिए विष्णु का यह अवतार यानी 'कल्कि अवतार' प्रकट होगा। कल्कि को विष्णु का भावी और अंतिम अवतार माना गया

काम, क्रोध , शोक, मोह, विधित्सा ( शास्त्र विरुद्ध काम करने की इच्छा) परासुता ( दुसरो को मारने की इच्छा ) मद, लोभ , मात्सर्य , ईर्ष्या , निंदा, दोषदृष्टि , कंजूसी ।।यह 13 दोष प्राणियों के अत्यंत प्रबल

          पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता लक्ष्मी ने राजा बलि को सबसे पहले राखी बांधी थी। एक बार राजा बलि ने 100 यज्ञ पूरा करके स्वर्ग पर आधिपत्य का प्रयास किया, इससे इंद्र

भारत देश महाभारतकाल में कई बड़े जनपदों में बंटा हुआ था। हम महाभारत में वर्णित जिन 35 राज्यों और शहरों के बारे में जिक्र करने जा रहे हैं, वे आज भी मौजूद हैं। आप भी देखिए।1. गांधार- आज के कंधार को कभी ग

शिवजी के साथ चलने वाले तीन पैरों वाले शिवगण भृंगी की कथा सुनी है?महादेव के गणों मे एक हैं भृंगी। एक महान शिवभक्त के रुप में भृंगी का नाम अमर है। कहते हैं जहां शिव होंगे वहां गणेश, नंदी, श्रृंगी, भृंगी

1. गणेश जी को तुलसी न चढ़ाएं2. देवी पर दुर्वा न चढ़ाएं3. शिव लिंग पर केतकी फूल न चढ़ाएं4. विष्णु को तिलक में अक्षत न चढ़ाएं5. दो शंख एक समान पूजा घर में न रखें6. मंदिर में तीन गणेश मूर्ति न रखें7. तुल

1. गणेश जी को तुलसी न चढ़ाएं2. देवी पर दुर्वा न चढ़ाएं3. शिव लिंग पर केतकी फूल न चढ़ाएं4. विष्णु को तिलक में अक्षत न चढ़ाएं5. दो शंख एक समान पूजा घर में न रखें6. मंदिर में तीन गणेश मूर्ति न रखें7. तुल

1. गणेश जी को तुलसी न चढ़ाएं2. देवी पर दुर्वा न चढ़ाएं3. शिव लिंग पर केतकी फूल न चढ़ाएं4. विष्णु को तिलक में अक्षत न चढ़ाएं5. दो शंख एक समान पूजा घर में न रखें6. मंदिर में तीन गणेश मूर्ति न रखें7. तुल

1- जब हम पहली बार भगवत गीता पड़ते हैं। तो हम एक अन्धे व्यक्ति के रूप में पड़ते हैं और बस इतना ही समझ में आता है कि कौन किसके पिता, कौन किसकी बहन, कौन किसका भाई। बस इससे ज्यादा कुछ समझ नहीं आता।2- जब ह

अधिकतर हिंदुओं के पास अपने ही धर्मग्रंथ को पढ़ने की फुरसत नहीं है। वेद, उपनिषद पढ़ना तो दूर वे गीता तक को नहीं पढ़ते जबकि गीता को एक घंटे में पढ़ा जा सकता है। हालांकि कई जगह वे भागवत पुराण सुनने या रा

जो लेते हैं गीता के इस अध्याय का सहारा महादेव स्वयं आकर देने लगते हैं अपने हाथों का सहारामाता पार्वती के अनुरोध पर भगवान शिव ने गीता के अध्यायों के पाठ का माहात्म्य सुनाना शुरू किया था. काशीपुरी में ध

भारतीय संस्कृति में पूजा-पाठ का बहुत अधिक महत्व है। किसी भी काम को करने से पहले पूजा-पाठ की जाती है जिससे कि आगे चल कर कोई समस्या उत्पन्न न हो। इसी साथ लोगों के मन में हर देवी-देवताओं के प्रति अपनी श्

 सनातन धर्म में हर दिवस का संबंध किसी न किसी देवता से है। रविवार को भगवान भास्कर की उपासना की जाती है। मंगलवार को भगवान् मारूतिनन्दन का दिन माना जाता है। कहीं कहीं इसे मंगलमूर्ति गणपति का भी

कलिजुग जोग न जग्य न ग्याना ।एक अधार राम गुन गाना।। कलियुग का महामन्त्र है राम-नाम, न संख्या गिनने की आवश्यकता है और न माला-झोली की; केवल जिह्वा ही काफी है । कलियुग के भयानक खेल को एक राम-नामी संत

शिव महापुराण ;-        ‘शंकर: पुरुषा: सर्वे स्त्रिय: सर्वा महेश्वरी ।’अर्थात्– समस्त पुरुष भगवान सदाशिव के अंश और समस्त स्त्रियां भगवती शिवा की अंशभूता हैं, उन्हीं भगवान अर्धन

  प्रतिपदा को कूष्मांड (कुम्हड़ा, पेठा) न खायें, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। द्विताया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। तृतिया को परवल खाने से शत्रुओं की वृद्

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं….यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः।न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम्‌॥(गीता 16/23)जो मनुष्य कामनाओं के वश में होकर शास्त्रों की विधियों को त्याग कर अपने ही मन से उ

संस्कृत शब्द एकादशी का शाब्दिक अर्थ ग्यारह होता है। एकादशी पंद्रह दिवसीय पक्ष (चन्द्र मास) के ग्यारहवें दिन आती है। एक चन्द्र मास (शुक्ल पक्ष) में चन्द्रमा अमावस्या से बढ़कर पूर्णिमा तक जाता है, और उस

गाय गोलोक की एक अमूल्य निधि है, जिसकी रचना भगवान ने मनुष्यों के कल्याणार्थ आशीर्वाद रूप से की है। अत: इस पृथ्वी पर गोमाता मनुष्यों के लिए भगवान का प्रसाद है। भगवान के प्रसादस्वरूप अमृतरूपी गोदुग्ध का

महाभारत से सम्बंधित पिछले लेख में हमने आपको बताया था की कैसे श्रीकृष्ण सहित पुरे यदुवंश का नाश हो जाता है तथा साथ ही द्वारका नगरी भी समुद्र में डूब जाती है। आज के लेख में हम आपको उसके आगे की कहानी बता

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