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51 शक्ति पीठ, 12 ज्योतिर्लिंग, 7 सप्तपुरी और 4 धामहमारा देश भारत में यूँ तो अनेकों तीर्थ है पर इनमें जो सबसे प्रमुख माने जाते है वो है इक्यावन शक्ति पीठ, बारह ज्योतिर्लिंग, सात सप्तपुरी

आमतौर पर शिवलिंग को गलत अर्थों में लिया जाता है, जो कि अनुचित है या उचित यह हम नहीं जानते। वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती ह

 मौली बांधना वैदिक परंपरा का हिस्सा है। यज्ञ के दौरान इसे बांधे जाने की परंपरा तो पहले से ही रही है, लेकिन इसको संकल्प सूत्र के साथ ही रक्षा-सूत्र के रूप में तब से बांधा जाने लगा, जबसे असुरों के

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भारत देश नदियों का देश है यहाँ पर बहुत सी नदियाँ बहती हैं हिन्दू इनमें से बहुत सी नदियों को माता कहकर बुलाते हैं तथा लगभग प्रत्येक नदी की पूजा भी करते हैं वास्तव में यह नदियाँ भारत की जीवन रेखा हैं

सनातन परम्परा में अगर ऐसा नहीं किया जाए तो आटे को पिंड का रूप मानते हैं जो कि हिंदू धर्म में अशुभ होता है।हिंदू धर्म में पूर्वजों एवं मृत आत्माओं को संतुष्ट करने के लिए पिंड दान की विधि बताई गई है।पिं

होइ न विषय बिराग,भवन बसत भा चौथनु।हृदय बहुत दुख लाग जनम गयउ हरि भगति बिनु।।1/142साधना क्रम में एक पद्धति बैराग्य की,तथा दूसरी है राग की पद्धति ।किसी के अंतःकरण में बैराग्य की बृत्ति प्रबल होती है,और क

जानें, मुण्डन कराने से बच्चे की कितनी स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां दूर हो जाती हैं ? मुण्डन संस्कार को चूड़ाकरण संस्कार या चौलकर्म भी कहते है जिसका अर्थ है—वह संस्कार जिसमें बालक को चूड़ा अर्थात

ये लक्षण बताते हैं कि कब आएगी मौतहर व्यक्ति की यह जिज्ञासा होती है कि मौत कैसे होती है। उसकी खुद की मौत का क्या उसे पहले से ही अहसास हो जाएगा।वैज्ञानिक शोधों, मनोविश्लेषण, धर्म शास्त्रों, पुराणों आदि

समुद्र-मंथन के समय समुद्र से जो 14 रत्न निकले, उनमें एक शंख भी है; इसलिए इसे ‘समुद्रतनय’ कहते हैं और यह लक्ष्मीजी का भाई माना जाता है । शंख में साक्षात् भगवान श्रीहरि का निवास है और वे इसे सदैव अपने ह

हिमाचल प्रदेश को देव भूमि भी कहा जाता है। इसे देवताओं के घर के रूप में भी जाना जाता है। पूरे हिमाचल प्रदेश में 2000 से भी ज्यादा मंदिर है और इनमें से ज्यादातर प्रमुख आकर्षक का केन्द्र बने हुए है। इन म

देवीभागवत पुराण में कहा गया है–‘सृष्टि के आदि में एक देवी ही थी, उसने ही ब्रह्माण्ड उत्पन्न किया; उससे ही ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र उत्पन्न हुए । अन्य सब कुछ उससे ही उत्पन्न हुआ । वह ऐसी पराशक्ति (महाश

हिन्दू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का बहुत बड़ा महत्व है. आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा निकली जाती है. भगवान जगन्नाथ विष्णु भगवान के पूर्ण कला अवतार श्रीकृष्ण का ही एक रूप हैं।

भारत के उड़ीसा राज्य का पुरी क्षेत्र जिसे पुरुषोत्तम पुरी, शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है, भगवान श्री जगन्नाथ जी की मुख्य लीला-भूमि है। उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता श्री जगन्नाथ जी

श्रीमार्कण्डेय पुराण एवं श्रीदुर्गा सप्तशती के अनुसार काली मां की उत्पत्ति जगतजननी मां अम्बा के ललाट से हुई थी।कथा के अनुसार शुम्भ-निशुम्भ दैत्यों के आतंक का प्रकोप इस कदर बढ़ चुका था किउन्होंने अपने

भगवान की लीला बड़ी विचित्र है। वे कब कौन-सा काम किस हेतु करेंगे, इसे कोई नहीं जानता।भगवान की प्रत्येक लीला ऐसे ही रहस्यों से भरी होती है। उनकी लीला और महिमा का कोई पार नहीं पा सकता। उनका मूल उद्देश्य

एक बार भगवान श्री कृष्ण सो रहे थे और निद्रावस्था में उनके मुख से राधा जी का नाम निकला. पटरानियों को लगा कि वह प्रभु की इतनी सेवा करती है परंतु प्रभु सबसे ज्यादा राधा जी का ही स्मरण रहता है।रुक्मिणी जी

साम्ब कृष्ण और उनकी दूसरी पत्नी जांबवंती के ज्येष्ठ पुत्र थे जिसका विवाह दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा से हुआ था। जब महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ तो गांधारी ने कृष्ण को इसका दोषी मानते हुए यदुकुल के नाश

जल के देवता...चंद्रमा...मन के कारक...चंद्रमा... सभी 27 नक्षत्रों के स्वामी चंद्रमा...आदिकाल से ही चांद को लेकर कई धार्मिक और सामाजिक मान्यताएं चली आ रही हैं. चांद के वजूद और अहमियत को लेकर कई तरह तक द

साधुसाधु, संस्कृत शब्द है जिसका सामान्य अर्थ 'सज्जन व्यक्ति' से है। लघुसिद्धान्तकौमुदी में कहा है- 'साध्नोति परकार्यमिति साधुः' (जो दूसरे का कार्य कर देता है, वह साधु है।)। वर्तमान समय में साधु उनको क

श्रीमद्देवीभागवत पुराण में इस कथा का उल्लेख है। यह संसार माया के तीनों गुणों से व्याप्त है। राजा धर्म करें और तपस्वी तप करें - यह स्वाभाविक कर्म है, परंतु सभी प्राणियों का मन गुणों से आबद्ध रहने के का

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