shabd-logo

धार्मिक

hindi articles, stories and books related to dharmik


माटी को पुतरा कैसे नचतु है ॥ देखै देखै सुनै बोलै दउरिओ फिरतु है ॥1॥ रहाउ ॥ जब कछु पावै तब गरबु करतु है ॥ माइआ गई तब रोवनु लगतु है ॥1॥ मन बच क्रम रस कसहि लुभाना ॥ बिनसि गइआ जाइ कहूं समाना ॥2॥ कहि

दूधु त बछरै थनहु बिटारिओ ॥ फूलु भवरि जलु मीनि बिगारिओ ॥1॥ माई गोबिंद पूजा कहा लै चरावउ ॥ अवरु न फूलु अनूपु न पावउ ॥1॥ रहाउ ॥ मैलागर बेर्हे है भुइअंगा ॥ बिखु अम्रितु बसहि इक संगा ॥2॥ धूप दीप नईबे

बेगम पुरा सहर को नाउ ॥ दूखु अंदोहु नही तिहि ठाउ ॥ नां तसवीस खिराजु न मालु ॥ खउफु न खता न तरसु जवालु ॥1॥ अब मोहि खूब वतन गह पाई ॥ ऊहां खैरि सदा मेरे भाई ॥1॥ रहाउ ॥ काइमु दाइमु सदा पातिसाही ॥ दोम

ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा से भगवान श्री जगन्नाथ आज भी रोगी हो जाते हैं। इस दिन से अगले 15 दिनों तक जगन्नाथ भगवान बीमार रहते हैं। 15 दिन के लिए मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं और उनकी रसोई बंद कर दी जाती

भारत देश की सभ्यता संस्कृति का त्यौहार एक अभिन्न अंग है । त्यौहार हमारे जीवन में विभिन्न प्रकार की खुशियां, उमंग उत्साह लेकर आते हैं इन्हीं त्यौहारों में से एक त्यौहार गणेश चतुर्थी है ।गणेश जी के पूरे

भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों में बीसवां ‘हंस अवतार’ है। श्रीमद्भागवत के एकादश स्कन्ध के तेरहवें अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने उद्धवजी को अपने ‘हंसावतार’ की कथा सुनाई है। भगवान के हंसावतार की सम्पूर्ण

  इनके तट पर विशिष्ट तीर्थ भी हैं।   स्कंदपुराण के काशीखंड के अनुसार तीर्थ दो प्रकार के हैं : मानस तीर्थ और भौम तीर्थ।   मानस तीर्थ कहते हैं उन तपस्वी, ज्ञानी जनों को, जिनके म

एक बार किसी तीर्थ में अर्जुन का हनुमान जी से मिलन हो गया। अर्जुन बोले, ‘‘अरे, राम और रावण के युद्ध के समय तो आप थे?’’हनुमान जी बोले, ‘‘हाँ।’’अर्जुन ने बड़े बोल बोलते हुए कहा, ‘‘आपके स्वामी श्रीराम तो ब

क्रान्तदर्शी विद्वानों ने व्यक्ति को पाप से बचाने के लिए सात मर्यादाओं का निर्माण किया है उन मर्यादाओं का उल्लंघन किसी को कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए यथा―(1)स्तेय चोरी न करना, मालिक की दृष्टि बचाकर उ

क्यु माता पार्वती ने दिया महादेव सहित भगवान श्री हरी विष्णू, कर्तिकेय, नारद मुनी और रावण को श्राप.         शिव पुराण की कथाओं के अनुसार एक बार भगवान शंकर ने माता पार्वती के स

* सकल सौच करि राम नहावा। सुचि सुजान बट छीर मगावा॥अनुज सहित सिर जटा बनाए। देखि सुमंत्र नयन जल छाए॥भावार्थ:-शौच के सब कार्य करके (नित्य) पवित्र और सुजान श्री रामचन्द्रजी ने स्नान किया। फिर बड़ का दूध मँ

"हम नींद में सपने देखते हैं,  लेकिन ईश्वर हमें दिन नींद से जगाकर  उन सपनों को पूरा करने का एक मौक़ा देते हैं... उठिये भगवान का शुक्रिया अदा कीजिये।"  {258}    "ज्ञानार्जन एक ऐसा द्रव्य है जिसको  

एकांत अंतर्मन से जोड़ता है, अकेलापन अंत की ओर ले जाता है। {113}    इस संसार में ईश्वर हमें कितना निश्चिन्त करके भेजता है..  ना आते वक्त कुछ लाना पड़ता है,  और ना जाते वक्त कुछ ले जाना पड़ता है। {

"यह तो दुनिया की हकीकत है... जो आसानी से मिल गया।  उसका मूल्य नहीं समझते... और जो मिला नहीं... उसके पीछे भटकते नहीं थकते।"  {76}     " राधा और मीरा का तो जन्म ही दर्द सहने के लिए हुआ है... लेकि

"मन का तार जब परम सत्ता से जुड़ जाता है... तब परम सौभाग्य होता है।"  {52}     "उड़ान के लिए पंख सबको मिले हैं... जो पंख खोलता है वही उड़ सकता है।"  {53}    "सुख भीतर की वस्तु है... पर हर कोई भी

1 कृष्ण : सब को अपनी ओर आकर्षित करने वाला। जो सर्व आकर्षण है, जो अपनी ओर खींचता है वो कृष्ण है।2 गिरिधर : भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने बांय हाथ की कनिष्का ऊँगली से उठाया था जिस कारण भगवान

जब भी हमारे परिचित या किसी अपने की मृत्यु होती है तो इसका गहरी पीड़ा होती है .. लेकिन फिर भी मत्यु के साथ ही उसके अंतिम संस्कार की तैयारियों में लग जाते हैं। कल तक जिसे जीवित रूप में हम अपना मानते थे

इस संस्कार को 6 माह से लेकर 16 माह तक अथवा 3, 5 आदि विषम वर्षों में या कुल की परंपरा के अनुसार उचित आयु में किया जाता है। इसे स्त्री-पुरुषों में पूर्ण स्त्रीत्व एवं पुरुषत्व की प्राप्ति के उद्देश्य से

एकादशी के दिन उपवास या व्रतस्त रहने की परंपरा भारत में सदियों से है। आज भी करोड़ों लोग इसे मानते है। किंतु इस व्रत या उपवास के पीछे की वास्तविकता,विज्ञान ना जानने के कारण आज इस प्रथा ने काफी विकृत रूप

अश्विनी नक्षत्र से जुड़ी हुई कुछ पौराणिक कटहको के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में ब्रह्मा ने स्वयं को बहुत एकाकी पाया। अपने इसी एकाकीपन को दूर करने के लिए उन्होंने देवों की रचना की। ब्रह्मा द्वारा जिस सर

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए