जाने वेदों में रत्ती भर भी मिलावट क्यों नही हो सकी ? जब कोई सनातनी ये बताने की कोशिश करता हैं की हमारे ज्यादातर ग्रंथों में मिलावट की गई है तो वो वेदों पर भी ऊँगली उठाते हैं की अगर सभी में मिलावट की ग
नमो नमस्ते गोविन्द बुधश्रवणसंज्ञक ॥अघौघसंक्षयं कृत्वा सर्वसौख्यप्रदो भव ।भुक्तिमुक्तिप्रदश्चैव लोकानां सुखदायकः ॥ मन में भौतिक इच्छा रखने वाले लोगों ने मोक्ष प्राप्त करने के लिए अथवा अपनी उद्देश्
भगवान् श्री कृष्ण वह महानायक है, जिसने पूरी दुनिया को अधर्म और अन्याय के खिलाफ खड़े होना सिखाया ! जीवन-दर्शन का संदेश और ज्ञान गीता के द्वारा समझाया, भ्रमितों को राह दिखाई, दुखियों को न्याय दिलवाया ! इ
गठबंधन विवाह संस्कार का प्रतीकात्मक स्वरूप है। पाणिग्रहण के बाद वर के कंधे पर डाले सफेद दुपट्टे में वधू की साड़ी के एक कोने की गांठ बांध दी जाती है, इसे आम बोलचाल की भाषा में गठबंधन बोलते हैं। इस बंधन
सनातन धर्म के ज्यादातर धार्मिक संस्कारों में नारियल का विशेष महत्व है। कोई भी व्यक्ति जब कोई नया काम शुरू करता है तो भगवान के सामने नारियल फोड़ता है। चाहे शादी हो, त्योहार हो या फिर कोई महत्वपूर्ण पूज
भगवान शिव का प्राचीन मंदिर। मुस्लिम शासकों ने इसे तोड़ने के लिए गोले तक दागे, लेकिन ग्वालियर चंबल अंचल के बीहड़ों में बना सिहोनिया का ककनमठ मंदिर आज भी लटकते हुए पत्थरों से बना हुआ है । चंबल के बीहड़
हमारे धर्म ग्रंथो में शेषनाग, वासुकि नाग, तक्षक नाग, कर्कोटक नाग, धृतराष्ट्र नाग, कालिया नाग आदि नागो का वर्णन मिलता है। आज हम आपको इस लेख में इन सभी नागो के बारे में विस्तार से बताएंगे। लेकिन सबसे पह
हिंदू ग्रंथ महाभारत से जुड़ी कई अलग-अलग कहानियों के बारे में तो लोग जानते ही हैं लेकिन इनमें से कुछ ऐसी भी कहानियां हैं जिनके बारे में शायद ही किसी को पता है। महाभारत में एसे अनेकों प्रमुख पात्र
गरुड़ ने भगवान श्री विष्णु से प्रश्न कियामृत्यु के बाद आत्मा कैसे शरीर के बाहर जाता है? कौन प्रेत का शरीर प्राप्त करता है? क्या भगवान के भक्त प्रेत योनि में प्रवेश करते हैं?भगवान विष्णु ने गरुड़ को उत्त
सात परिक्रमाएं पूर्ण कर लेने के बाद सप्तपदी की रस्म अदा की जाती है। इसके लिए वर-वधू साथ-साथ कदम से कदम मिलाकर पहले से बना दी गई चावल की सात ढेरियों पर पैर लगाते हुए एक-एक कदम आगे बढ़ते हैं। रुकते हैं,
जब-जब श्रीकृष्ण का नाम लिया गया है, ऐसा कभी हुआ नहीं कि राधा जी का नाम ना लिया गया हो। श्रीकृष्ण को अमूमन भक्त राधे-कृष्ण कहकर ही पुकारते हैं। क्योंकि यह दो शब्द, यह दो नाम एक-दूसरे के लिए ही बने हैं
पार्वती, उमा या गौरी मातृत्व, शक्ति, प्रेम, सौंदर्य, सद्भाव, विवाह, संतान की देवी हैं। देवी पार्वती कई अन्य नामों से जानी जाती है, वह सर्वोच्च हिंदू देवी परमेश्वरी आदि पराशक्ति (शिवशक्ति) की पूर्ण साक
सप्तपुरी पुराणों में वर्णित सात मोक्षदायिका पुरियों को कहा गया है। इन पुरियों में 'काशी', 'कांची' (कांचीपुरम), 'माया' (हरिद्वार), 'अयोध्या', 'द्वारका', 'मथुरा' और 'अवंतिका' (उज्जयिनी) की गणना की गई है
प्राचीनकाल में देवताओं और राक्षसों के कई युद्ध हुए. इन युद्धों में कभी देवता जीतते और कभी राक्षस. लेकिन एक समय ऐसा आया कि राक्षसों की शक्ति तेजी से बढ़ने लगी. इसका कारण था मृतसंजीवनी विद्या. राक्षसों क
महाकवि तुलसीदास जी ने हनुमानजी को बताया ---अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।अस वर दीन्ह जानकी माता ।।हनुमानजी को जिन आठ सिद्धियों का स्वामी तथा दाता बताया गया है वे सिद्धियां इस प्रकार हैं-1.अणिमा: इस सि
एक कुलीन ब्राह्मण को अपनी कुल परम्परा का सम्पूर्ण परिचय निम्न 11 (एकादश) बिन्दुओं के माध्यम से ज्ञात होना चाहिए -1. गोत्र।2. प्रवर।3. वेद।4. उपवेद।5.शाखा।6 .सूत्र।7 .छन्द।8 .शिखा।9 .पाद।10 .देवता।11
नारद मुनि ब्रह्माण्ड के प्रथम संवाद दाता। नारद, देवताओं के ऋषि हैं। इसी कारण नारद जी को देवर्षि नाम से भी पुकारा जाता हैं। इनका जन्म ब्रह्माजी की गोद से हुआ था। पुराणों के अनुस
प्राणी की मृत्यु या अंत को लाने वाले देवता यम हैं। यमलोक के स्वामी होने के कारण ये यमराज कहलाए। चूंकि मृत्यु से सब डरते हैं, इसलिए यमराज से भी सब डरने लगे जीवित प्राणी का जब अपना काम पूरा हो जाता है,
“महाभारत” एक ऐसा महाग्रंथ है जिसमे निहित ज्ञान आज भी प्रासंगिक है| इसमें बताये गए युद्ध के 18 दिनों में तरह तरह की रणनीतिया और व्यूह रचे गए थे | जैसे अर्धचंद्र, वज्र, और सबसे अधिक प्रसिद्ध चक्रव्यूह |
उगते हुए सूर्य को जल देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है | बहुत से लोग आज भी इसका पालन करते हैं इसके पीछे धार्मिक मान्यता हीं नहीं बल्कि वैज्ञानिक आधार भी है | धार्मिक दृष्टि से बात करें तो बिना सूर