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क्रान्तदर्शी विद्वानों ने व्यक्ति को पाप से बचाने के लिए सात मर्यादाओं का निर्माण किया है उन मर्यादाओं का उल्लंघन किसी को कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए यथा―(1)स्तेय चोरी न करना, मालिक की दृष्टि बचाकर उ

क्यु माता पार्वती ने दिया महादेव सहित भगवान श्री हरी विष्णू, कर्तिकेय, नारद मुनी और रावण को श्राप.         शिव पुराण की कथाओं के अनुसार एक बार भगवान शंकर ने माता पार्वती के स

* सकल सौच करि राम नहावा। सुचि सुजान बट छीर मगावा॥अनुज सहित सिर जटा बनाए। देखि सुमंत्र नयन जल छाए॥भावार्थ:-शौच के सब कार्य करके (नित्य) पवित्र और सुजान श्री रामचन्द्रजी ने स्नान किया। फिर बड़ का दूध मँ

"हम नींद में सपने देखते हैं,  लेकिन ईश्वर हमें दिन नींद से जगाकर  उन सपनों को पूरा करने का एक मौक़ा देते हैं... उठिये भगवान का शुक्रिया अदा कीजिये।"  {258}    "ज्ञानार्जन एक ऐसा द्रव्य है जिसको  

एकांत अंतर्मन से जोड़ता है, अकेलापन अंत की ओर ले जाता है। {113}    इस संसार में ईश्वर हमें कितना निश्चिन्त करके भेजता है..  ना आते वक्त कुछ लाना पड़ता है,  और ना जाते वक्त कुछ ले जाना पड़ता है। {

"यह तो दुनिया की हकीकत है... जो आसानी से मिल गया।  उसका मूल्य नहीं समझते... और जो मिला नहीं... उसके पीछे भटकते नहीं थकते।"  {76}     " राधा और मीरा का तो जन्म ही दर्द सहने के लिए हुआ है... लेकि

"मन का तार जब परम सत्ता से जुड़ जाता है... तब परम सौभाग्य होता है।"  {52}     "उड़ान के लिए पंख सबको मिले हैं... जो पंख खोलता है वही उड़ सकता है।"  {53}    "सुख भीतर की वस्तु है... पर हर कोई भी

1 कृष्ण : सब को अपनी ओर आकर्षित करने वाला। जो सर्व आकर्षण है, जो अपनी ओर खींचता है वो कृष्ण है।2 गिरिधर : भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने बांय हाथ की कनिष्का ऊँगली से उठाया था जिस कारण भगवान

जब भी हमारे परिचित या किसी अपने की मृत्यु होती है तो इसका गहरी पीड़ा होती है .. लेकिन फिर भी मत्यु के साथ ही उसके अंतिम संस्कार की तैयारियों में लग जाते हैं। कल तक जिसे जीवित रूप में हम अपना मानते थे

इस संस्कार को 6 माह से लेकर 16 माह तक अथवा 3, 5 आदि विषम वर्षों में या कुल की परंपरा के अनुसार उचित आयु में किया जाता है। इसे स्त्री-पुरुषों में पूर्ण स्त्रीत्व एवं पुरुषत्व की प्राप्ति के उद्देश्य से

एकादशी के दिन उपवास या व्रतस्त रहने की परंपरा भारत में सदियों से है। आज भी करोड़ों लोग इसे मानते है। किंतु इस व्रत या उपवास के पीछे की वास्तविकता,विज्ञान ना जानने के कारण आज इस प्रथा ने काफी विकृत रूप

अश्विनी नक्षत्र से जुड़ी हुई कुछ पौराणिक कटहको के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में ब्रह्मा ने स्वयं को बहुत एकाकी पाया। अपने इसी एकाकीपन को दूर करने के लिए उन्होंने देवों की रचना की। ब्रह्मा द्वारा जिस सर

शत्रु एवं शनि पीड़ित लोग काले घोड़े की नाल के छल्ले का प्रयोग करें तो उत्तम लाभ होता है। यह छल्ला दाहिने हाथ की बीच की (मध्यमा) उंगुली में धारण करना चाहिए। लोगों की बुरी नजर से बचने का अत्यन्त सटीक उप

सुबह की शुरूवात जैसी होती है बाकि दिन भी उसी अनुसार बीतता है ऐसे में जरूरी है कि सुबह को बेहतर बनाया जाया .. शास्त्रों में सुबह के समय उठते ही कुछ विशेष कार्य करने की सलाह ही दी गई है। मान्यता है कि अ

अनावश्यक अजान और पांच बार नमाज की अनिवार्यता के परिणाम। इन दिनों वाराणसी में गंगा नदी में नौका विहार करते हुए एक विदेशी पर्यटक का वीडियो सोशल मीडिया में काफी वायरल ( प्रचलित ) हुआ है। वीडियो में यह व

अमरीका के प्रतिष्ठित हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टीवन पिंकर, जो हाल ही में भारत की यात्रा पर थे, की स्थापना है कि ‘हमें ऐसा लग सकता है कि विश्व में गिरावट आ रही है। परंतु यह हमारी समझ की समस्

गोवर्धन लीला के बाद समस्त ब्रजमंडल के कृष्ण के नाम की चर्चा होने लगी, सभी ब्रजवासी कृष्ण की जय-जयकार कर रहे थे और उनकी महिमा का गान कर रहे थे। ब्रज के गोप-गोपियों के मध्य कृष्ण की ही चर्चा थी। एक स्था

मानस पूजा का प्रचलन उतना ही प्राचीन है जितना कि भगवान । मानस पूजा में मन के घोड़े दौड़ाने और कल्पनाओं की उड़ान भरने की पूरी छूट होती है । इसमें मनुष्य स्वर्गलोक की मन्दाकिनी के जल से अपने आराध्य को स्

परमेश्वर शिव त्रिकाल दृष्टा, त्रिनेत्र, आशुतोष, अवढरदानी, जगतपिता आदि अनेक नामों से जानें जाते हैं। महाप्रलय के समय शिव ही अपने तीसरे नेत्र से सृष्टि का संहार करते हैं परंतु जगतपिता होकर भी शिव परम सर

 देखिये, जानिए और समझिए कि भारत के सभी वस्तुओं को कैसे-कैसे नष्ट किया गया, पूरा अवश्य पढ़ें......◆ 12:00 बजने के स्थान पर आदित्या: लिखा हुआ है, जिसका अर्थ यह है कि सूर्य 12 प्रकार के होते हैं.अंशु

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