धीरज झा
common.bookInlang
common.articleInLang
नाम धीरज झा, काम - स्वछंद लेखन (खास कर कहानियां लिखना), खुद की वो बुरी आदत जो सबसे अच्छी लगती है मुझे वो है चोरी करना, लोगों के अहसास को चुरा कर कहानी का रूप दे देना अच्छा लगता है मुझे....किसी का दुःख, किसी की ख़ुशी, अगर मेरी वजह से लोगों तक पहुँच जाये तो बुरा ही क्या है इसमें :) .....इसी आदत ने मुझसे एक कहानी संग्रह लिखवा दिया जिसका नाम है सीट नं 48.... जी ये वही सीट नं 48 कहानी है जिसने मुझे प्रतिलिपि पर पहचान दी... इसके तीन भाग प्रतिलिपि पर हैं और चौथा और अंतिम भाग मेरे द्वारा इसी शीर्षक के साथ लिखी गयी किताब में....आप सब की वजह से हूँ इसीलिए कोशिश करूँगा कि आप सबका साथ हमेशा बना रहे... फेसबुक पर जुड़ें :- https://www.facebook.com/profile.php?id=100030711603945