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दो गज जमीन बाकी था

9 अप्रैल 2023

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रचनाएँ
मेरे हमसफर
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अनुभव के मोती। इस पुस्तक में जीवन मूल्य का अहसास कराती कविता,गजल व मुशायरों का संग्रह है।कैसे हम उस रास्ते को भटक गए है जो रास्ता उस प्रकाश की ओर जाता है जो सदा प्रकाशमान है। जो सदा शाश्वत है।
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दो गज जमीन बाकी था

9 अप्रैल 2023
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दिन कितने गुजर गए लेकिन अरमान बाकी था। करीब करीब मिटने को था जाने कितने फरमान बाकी था। चीता जलने से पहले शरीर में जान बाकी था। ये प्यास मिटती नही रेस की दौड़म भाग बाकी

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दवा चखा हूँ

16 अप्रैल 2023
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मै बेखबर मूरत, आग का तपा हूँ। घर है माना शीशे का, पत्थरो से वाकिफ़ हूँ । तंग गलियारो में, सच्चाई की तरंग हूँ । सत्य पर लग सके, वो दफा हूँ । टूटते रिश

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मधुशाला

21 अप्रैल 2023
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❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤ हर एक अल्फाज पे जीना आ गया । मिली तारीख तो महीना आ गया । ऐसा नशा है यारो इस सत्संग में, ध्यान की मधुशाला में पीना आ गया । 🕔🕔🕔🕣🕣🕣🕣🕣🕣🕣 हर एक पर्वत झील पे तेर

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मजदूर

1 मई 2023
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पूरी इमारत पर एक ही छाप है। पसीने से लथपथ मजदूर का हाथ है।। परिश्रम भाग्य की लकीर मिटा देती है। ज्योतिष भविष्यवाणी सब हटा देती है।। एक एक ईट क्रम से लगा है । तपती धूप हाथ क

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साक्षी

3 मई 2023
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अपने आप से बाहर निकलना है। तो पहले अपने अन्दर झाकना है।। कितने गृहयुद्ध चल रहे हैं। खुद ही खुद हम उबल रहे हैं।। नजदीक होते हुए भी फासला है। जाने कितना संगीन मामला है।। इस श

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नव अंकुर नव फूल खिलाए

5 मई 2023
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आओ मिलकर बगिया महकाए। नव अंकुर नव फूल खिलाए।। आपसी रंज भेदभाव मिटाए। भगवान बुद्ध के विचार अपनाए।। उन मोती को जीवन में पिरोए। जिन मोती से खुशहाली पाए।। जरा होश का दिय

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जीवन की स्टोरी

9 मई 2023
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जीवन की स्टोरी लाजवाब हो थ्योरी। ऐसा भोलापन हो जैसे गांव की छोरी। खाना हल्कापन पूरा न भरे बोरी। लहू में उमड़ती श्याम संग होरी। पलको के अन्दर दर्शन हो मोरी।

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बिन पर उड़ नही सकते

10 मई 2023
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हकीकत है कि पढ़ नही सकते। जीवन को अब गढ़ नही सकते।। चक्रवात कम कर नही सकते। सारी कायनात बदल नही सकते।। कुछ पल ठहर नही सकते। वजूद सामना कर नही सकते।। एक चेहरे बन नही सकते।

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अजीब इत्तेफाक है कामयाबी की

14 मई 2023
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अजीब इत्तेफाक है कामयाबी की, जवाँ उम्र है तो तंगाई बैंक बेलेंस की। अजीब इत्तेफाक है कामयाबी की, बैंक बेलेंस है तो कमी टाइम की। अजीब इत्तेफाक है कामयाबी की, बेलेंस व टाइम दोनो है

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माँ एक स्पर्श

16 मई 2023
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माँ जो संजोती थी लोरी सुलाकर दामन में अपने आँचल से मुँह मेरा छिपाती सुनाकर कहानी वो दीवाल पे सो लेती सपने बुन लेती तेल की मालिश से उभरते अंगो को सहलाती व्यायाम कराती पैरो तले

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मेरे दिल में

23 मई 2023
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एक इंतकाम लगा उसके दिल में। मिटाने की चाहत लगा उसके दिल में।। भिगाना भी चाहे तो कैसे भिगाए। ना छुता कोई वहम मेरे दिल में।। बुझाना भी चाहे तो कैसे बुझाए। अनगिनत चिंगारी लगा मेरे

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बाजार देखिए

3 जून 2023
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विद्युत का शहर देखिए। आँखो में घुलती कहर देखिए। जलाता नही पर है अंगारा, सुबह शाम दोपहर देखिए। कागज का अखबार देखिए। मरते पेड़ो का संसार देखिए। हर तिमाही में चार ऋतुएँ, बदलते म

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जहाँ घना उजियारा था

19 जून 2023
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एक तरफ रंगीन नजारा वहाँ गहन अंधियारा था।मृगमरीचिका सा जीवन वहाँ सफर कंवारा था।। यहाँ झूठी साजो सजावट वहाँ खुद संवारा था। चेहरे पे गम छुपाता हँसी वहां मुस्कान फव्वारा था।। बाहर की झुंझ

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जुगनु भी अपना अस्तित्व खो बैठा

2 अक्टूबर 2023
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खता मेरा ही था जो गुनाह कर बैठा। मै बबूल को बरगद समझ बैठा। कितने इम्तिहान से गुजरा हूँ जाने यारो। हर दिन की तरह इम्तिहान को भूल बैठा। मै भी उस रास्ते पर जाना चाहता था । जिस रास्ते को सुकू

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हम बागबान हो गए

23 अक्टूबर 2023
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हम उसके कर्जदार हो गए। जब रखा कदम शानदार हो गए। उनका आना मेरे किस्मत में था। हम पहले से और दमदार हो गए। राह ताकती माँ सुबह से शाम। चहल-पहल आँगन घर बार हो गए। बच्चो की परवरिश पिता का दे

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