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आज के दोहे :

7 फरवरी 2015

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आज के दोहे :-नयी सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात!बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात!!अब तो अपना खून भी, करने लगा कमाल!बोझ समझ माँ-बाप, घर से रहा निकाल!!पानी आँखों का मरा, मरी शर्म औ लाज!कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज!!भाई भी करता नहीं, भाई पर विश्वास!बहन पराई हो गयी, साली खासमखास!!मंदिर में पूजा करें, घर में करें कलेश!बापू तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश!!बचे कहाँ अब शेष हैं, दया, धरम, ईमान!पत्थर के भगवान हैं, पत्थर दिल इंसान!!पत्थर के भगवान को, लगते छप्पन भोग!मर जाते फुटपाथ पर, भूखे, प्यासे लोग!!फैला है पाखंड का, अन्धकार सब ओर!पापी करते जागरण, मचा-मचा कर शोर!पहन मुखौटा धरम का, करते दिनभर पाप!भंडारे करते फिरें, घर में भूखा बाप!![: जीवन में हर जगह हम"जीत"चाहते हैं...सिर्फ फूलवाले की दूकान ऐसी हैजहाँ हम कहते हैं कि"हार"चाहिए।क् योंकि हम भगवान से"जीत"नहीं सकते।

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पहले मैं होशियार था,

7 फरवरी 2015
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पहले मैं होशियार था, इसलिए दुनिया बदलने चला था, आज मैं समझदार हूँ, इसलिए खुद को बदल रहा हूँ।। बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर... क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है.. मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा, चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना ।। ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है पर सच कहता

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