जिन्हे बनी बनाई रोटी आसानी से हो जाती हैं नसीब, वही लोग रोटी की कीमत नही है पाते , बनी बनाई रोटी पे अनेको नखरे है दिखाते,,,,,,,,,,,,,,,,, जिन्ह लोगों को सारा दिन काम करके भी दो वक्त की रोटी भी बड़ी
जब एक लड़की की शादी होती है तो वह पत्नी बनने के साथ ही गृहिणी भी बन जाती है. लोग उस महिला को घर की मालकिन कहते हैं, गृहस्वामिनी कहते हैं, घर की कर्ता-धर्ता कहते हैं. असल में ये नाम और ओहदे इतने बड़े
एक गृहणी का जीवन वास्तव में बहुत कठिन है। सुबह से लेकर शाम तक काम में लगी, फिर भी उसके काम का कोई आर्थिक मूल्यांकन नहीं है। कामकाजी है तो वह दो मोर्चे पर काम करती है घर भी संभालना है ,दफ्तर भी स
सबके अरमानों का ख्याल रखती है।सबकी इच्छाएं पूरी करती है।कभी ना गर्व करती है अपने आप पर।व्यस्त रहती है भोर से सांझ तक।।घर की सारी जिम्मेदारी है तुम्हारे कंधों पर।मां बनकर पुत्र की जिम्मेदारी तेरे जीवन
समय हमारे साथ नहीं चलता , हमे समय के साथ चलना पढ़ता है। बुरे वक्त में सभी साथ छोड़ जाते है, सबके साथ छोड़ के बाद भी एकेले, माता पिता ही होते हैं, जो मरते दम, तक भी हमारा साथ नहीं छोड़ते,,,,,,,,,,,,,,
जिस तरह से एक हाथ से ताली नही बजती उसी प्रकार नारी के बिना घर-परिवार नहीं चल सकता है। अगर नारी ग्रहणी है तो जिम्मेदारी से अपना काम करती है।बच्चो के पालन पोषण से लेकर पतिदेव के टिपीन तक गृहणी का मह