विषय - जिंदगी
जिंदगी बस एक सफर हैं।
संसारिक मोह माया साथ हैं।
न तेरी न मेरी अपनी जिंदगी हैं।
बंस हक दूसरे को हम देते हैंं।
सच नर नारी समान जिंदगी हैं।
घर चार दीवारी केवल मेरी हैं।
मन भावों में रिश्ते जिंदगी हैं।
न किसी को पता मेरी रचना हैं।
सच तो बस यही मेरी जिंदगी हैं।
चार पैसों में बंधे मेरे सपने हैं।
जिंदगी कल पल बरसों न पता हैं।
बहस आस उम्मीद के साथ हम हैं।
जिंदगी तो एक दिन का रंगमंच हैं।
हमसफ़र न तेरा न मेरा अकेला है।
*नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र*