तुम हो तो मैं हूंँ
सच तो जीवन का यही है कि हम सभी एक दूजे के बिना कुछ भी नहीं है और जैसा कि आज कहानी का विषय है तुम हो तो मैं हूँं। जीवन के सफर में हम सभी एक दूसरे के मनोभावों और प्रेम में बंधें होते है या हम एक दूसरे के स्वार्थ से जुड़े होते हैं जीवन में कुछ न कुछ तो इस तरह का हमें एक दूसरे से जोड़ने के लिए चाहत हो जाती है परंतु यह कहानी कुछ अलग हटके है आओ हम एक कहानी वास्तविक या कल्पना यह तो हमारे पाठक जो कि हमारी कहानी किरदार रहते है वही बताएंगे अच्छा तो हम आगे बढ़ते हैं
बात एक समय की की एक शहर में बहुत शांत बढ़िया और ईमानदार परिवार रहता था उसे परिवार में पांच सदस्य थे सीमा ज्योति और उनका भाई राजन और उनके माता-पिता , सीमा बड़ी बहन थी राजन की और ज्योति छोटी थी राजन बीच का इकलौता भाई था। और परिवार का वारिस परिवार बहुत खुश और संपन्न था। समय बीतता है सीमा और ज्योति की शादी हो जाती है राजन बीच का होने के कारण अपनी मां पिता से कहता है मैं शादी दोनों बहनों की शादी की बाद करूंगा।
राजन के पिता बहुत सरल स्वभाव के थे। इसलिए राजन को ही सारी जिम्मेदारी बहनों के विवाह से लेकर उनकी पढ़ाई लिखाई में उनकी देखभाल उनकी रक्षा करना उनके साथ रहना । यह सब राजन ने बचपन से ही किया था। राजन ने अपनी बहनों के लिए अपने भविष्य को भी ना सोचा था। कि जीवन में उसके भविष्य का भी क्या होगा ।परंतु समय बीतता है और सीमा और ज्योति परिवार में व्यस्त हो जाती हैं। राजन के मम्मी पापा भी अब राजन के लिए एक लड़की देखते है और लड़की का नाम है राजरानी और राजन को भी लड़की पसंद आ जाती है राजन और राजरानी की शादी बड़ी धूमधाम से हो जाती है।
राजन की शादी के कुछ समय बाद ही राजरानी एक पुत्र को जन्म देती है। और पुत्र का नाम आदित्य रखती है धीरे-धीरे समय बीतता है आदित्य बहुत हुनरवान होने के साथ साथ चंचल और मानवता के लिए सोच रखने वाला एक नौजवान बनता है वह 20 वर्ष की उम्र में ही बीसीए की डिग्री करने पहुंच जाता है। और राजन राजरानी आदित्य की विवाह की खुशियों के ख्वाब देखने लगते है। राजन की मां और बहनों को कहीं ना कहीं अपने परिवार में ही ईर्ष्या और ज्वलन भाव रहता हैं। और वह राजरानी और राजन के बेटे आदित्य को , एक दादी और बुआ तंत्र-मंत्र करके उसे कैंसर की स्टेज पर पहुंचा देती है बेखबर राजन अपनी मां के विश्वास और परिवार के लिए वह सोच भी नहीं पाता है। कि ऐसे मेरी मां और बहने जमीन ज्यादा के लिए मेरे पुत्र को भी मरवा सकती है। और समय के साथ-साथ राजरानी और राजन के बेटे आदित्य को इलाज कराते कराते एक दिन डॉक्टर उन्हें जवाब दे देता है। जवान बेटे आदित्य की मौत से आदित्य की मां राजरानी का और पिता राजन का जीवन खुशियों से उदासियों में बदल जाता है और उनके भी जीने के आसर न के बराबर रह जाते हैं। तभी राजन की कुछ पहचान वाले दोस्त और पड़ोस वाले राजरानी और राजन की मदद करते हैं। और उन्हें समझाते हैं कि बेटा जीवन ईश्वर के हाथ में है जो होना था वह हो गया अब आप दोनों संभालो नहीं तो आपकी मां और बहने दोनों जमीन जायदाद का बटवारा कर लेंगे। अब यह बात राजन के दिमाग में आ जाती है। और और वह पत्नी राजरानी को लेकर बिना बताए अपने घर में ताला लगाकर कहीं दूर नौकरी पर निकल जाता है। और राजरानी और राजन जीवन के अधेड़ उम्र में एक नई शुरुआत करते हैं। राजन कहता है राजरानी से तुम हो तो मैं हूं वरना जीवन में कुछ नहीं है। और दोनों अपने बेटे आदित्य की याद में बहुत रोते हैं। अब राजरानी और राजन निर्णय करते हैं कि अपने जीवन में आप कोई ना कोई बच्चा जरूर लाएंगे और और हम पुनः जीवन जिंदगी जीएंगे इधर जब राजरानी और राजन को पक्का हो जाता है। कि बेटे आदित्य को तांत्रिक उपाय से मरवाया गया है। फिर राजन और राजरानी कुछ सालों बाद आधुनिक तकनीक आईवीएफ से एक पुत्री को जन्म देते हैं। और नया जीवन ईश्वर के सहारे शुरू करते हैं। तब राजन आंखों में आंसू लेकर अपनी बेटी को देखकर कहता है राजरानी से कि तुम हो तो मैं हूं अब तो अपनी बेटी के लिए जीना है। और दोनों अपनी बेटी को आदित्य बेटे के रुप में मान कर जीवन की शुरुआत करते हैं।
तुम हो तो मैं हूँ यही एक राजन और राजरानी की समाजिक और चाहत की सोच और समझ थी। और आज के युग में मानव के रिश्ते नाते कब बदल जाते हैं। हम सभी नहीं जानते हैं। एक कहानी जोकि कल्पना की सोच है अगर किसी के जीवन में घटनाओं से छूती हैं तब यह एक इत्तेफाक हैं।