लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पारित हो गया है. बिल के पक्ष में 454 मत पड़े जबकि दो सांसदों ने इसके विरोध में वोट दिया। परिसीमन में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर सीमाएं तय की जाती हैं. पिछला देशव्यापी परिसीमन 2002 में हुआ था. इसे 2008 में लागू किया गया था. परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के भंग होने के बाद महिला आरक्षण प्रभावी हो सकता है। विधेयक में कहा गया है कि लोकसभा, राज्यों की विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. इसका मतलब यह हुआ कि लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.
लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए सीटें आरक्षित हैं. इन आरक्षित सीटों में से एक तिहाई सीटें अब महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इस समय लोकसभा की 131 सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं. महिला आरक्षण विधेयक के क़ानून बन जाने के बाद इनमें से 43 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. इन 43 सीटों को सदन में महिलाओं के लिए आरक्षित कुल सीटों के एक हिस्से के रूप में गिना जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि महिलाओं के लिए आरक्षित 181 सीटों में से 138 ऐसी होंगी जिन पर किसी भी जाति की महिला को उम्मीदवार बनाया जा सकेगा यानी इन सीटों पर उम्मीदवार पुरुष नहीं हो सकते। महिला आरक्षण बिल पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा है कि आज महिलाओं को न्याय मिल रहा है।
उन्होंने कहा, "आज हम महिलाओं को न्याय दे रहे हैं. बिल पास करके हम महिलाओं को और सशक्त कर रहे हैं.। क़ानून मंत्री मेघवाल ने कहा कि "महिला आरक्षण बिल पारित होने के लिए ये सही समय है. हम बिल को अटकने नहीं देंगे. भारत लोकतंत्र की जननी है. इस बिल को पास करके हम लोकतंत्र की यात्रा में नया इतिहास रच रहे हैं.। उन्होंने एक कविता भी सुनाई, "नारी शक्ति तेरा वंदन, वंदन है और अभिनंदन है, नारी शक्ति की मान बढ़ेगा, सपनों को अब पंख मिलेंगे, मिलजुलकर काम करेंगे, देश हमारा विकसित होगा। दुनिया का नेतृत्व करेगा."
आओ हम सभी अपने अपने परिवार की नारी सम्मान और सशक्त भारत बनाए। संसद की नई इमारत में कार्यवाही मंगलवार से शुरू हुई. पहले दिन क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण से जुड़ा विधेयक पेश किया था। इस विधेयक में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है. महिला आरक्षण के लिए पेश किया गया विधेयक 128वां संविधान संशोधन विधेयक है। इस क़ानून को लागू करने के लिए लोकसभा और राज्यसभा को इस विधेयक को दो-तिहाई बहुमत से पास करना होगा. इसके बाद जनगणना के बाद परिसीमन की कवायद की जाएगी।सच तो हमारा भारत नारी संस्कृति और देवी अनुसूया और अहिल्याबाई के साथ साथ झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का भारत देश है।