तुम हो तो मैं हूंँ सच तो जीवन का यही है कि हम सभी एक दूजे के बिना कुछ भी नहीं है और जैसा कि आज कहानी का विषय है तुम हो तो मैं हूँं। जीवन के सफर में हम सभी एक दूसरे के मनोभावों और प्रेम में बंधें होते है या हम एक दूसरे के स्वार्थ से जुड़े होते हैं जीवन में कुछ न कुछ तो इस तरह का हमें एक दूसरे से जोड़ने के लिए चाहत हो जाती है परंतु यह कहानी कुछ अलग हटके है आओ हम एक कहानी वास्तविक या कल्पना यह तो हमारे पाठक जो कि हमारी कहानी किरदार रहते है वही बताएंगे अच्छा तो हम आगे बढ़ते हैं
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