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एक ज़मीन अपनी - चित्रा मुद्गल (भाग-३ )

2 जुलाई 2022

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कैसी बातें कर रही हो !

मैथ्यू का स्वर अविश्वास से फुसफुसा आया। 

अगले ही क्षण वह सतर्क-भाव से गलतफ़हमी बुहारता-सा बोला, देखो अंकिता ! टकरा गए वाली लीपा-पोती यह नहीं है। मैंने तुम्हें देखते ही पुकारा.....अगर तुमसे मिलना न चाहता तो कतराकर निकल गया होता.....तुम्हें क्या पता चलता कि....खैर, छोड़ो.....सच तो यह है कि मुझे तुम्हारे फोन की कोई सूचना नहीं मिली.....रहा उस सेक्रेटरी का रवैया, उसकी तो एजेंसी से छुट्टी हो गई-वह एक अलग पचड़ा है-कम घपले नहीं किए उसने.....हाँ, तुम्हारी दोस्त नीता ने ही मुझे यह सूचना दी थी कि फिलहाल तुम बम्बई नहीं लौट रहीं.....किसी व्यक्तिगत समस्या के चलते.......फिर नीता ने ही प्रस्ताव रखा था-अगर आपको कोई आपत्ति न हो तो अंकिता का काम मैं आगे भी देखती रह सकती हूँ। वह तुम्हारी दोस्त थी, मुझे उसे रखने में भला क्या आपत्ति हो सकती थी ? काम वह बखूबी जानती ही है.....

अविश्वास और विस्मय से वह अस्थिर हो आई। वह तो अब तक इसी प्रभाव में थी कि मैथ्यू का फोन पर उपलब्ध न होने का मतलब है उसके लिए एजेंसी में- प्रवेश निषिद्ध। यह मैथ्यू क्या कह रहा है ! नीता ने यह झूठ क्यों गढ़ा ? जबकि वह निर्धारित प्रोग्राम के अनुसार ही बंबई लौट आई थी और आते ही सबसे पहले नीता से ही मिली थी....:?

मैथ्यू, दो से ऊपर हो रहा है......अलका ने अपनी कलाई मोड़ी। 

ओह ! लेट अस मूव...

अलका के याद दिलाते ही मैथ्यू कुछ इस कदर हड़बड़ाया जैसे उसे जरूरी काम का स्मरण करवाया गया हो। काटने का यह शिष्ट लहजा उसे गहरे तक खुरच गया। अधिकार-प्रदर्शन के ये तेवर भी। 

सी यू अंकिता... उसके हाथों को गहरी आत्मीयता से छूकर मैथ्यू ने विदाई चाही।

बायऽऽ।

बायऽऽ।

उसने स्पष्ट महसूस किया कि अलका ने बड़ी अनिच्छा से उसकी ओर हाथ उठाकर विदा की औपचारिकता निबाही है। अलबत्ता मेहता पर उसने मुस्कुराहट परोसने की उदारता अवश्य बरती। उसने यह भी लक्ष्य किया था कि उसकी और मैथ्यू की बातचीत के दौरान वह निरंतर मेहता से ही बतियाती रही थी.....

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रचनाएँ
एक ज़मीन अपनी
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विज्ञापन की चकाचौंध दुनिया में जितना हिस्सा पूँजी का है, शायद उससे कम हिस्सेदारी स्त्री की नहीं है। इस नए सत्ता-प्रतिष्ठान में स्त्री अपनी देह और प्रकृति के माध्यम से बाज़ार के सन्देश को ही उपभोक्ता तक नहीं पहुँचाती, बल्कि इस उद्योग में पर्दे के पीछे एक बड़ी ‘वर्क फ़ोर्स’ भी स्त्रिायों से ही बनती है। ‘एक ज़मीन अपनी’ विज्ञापन की उस दुनिया की कहानी भी है जहाँ समाज की इच्छाओं को पैना करने के औज़ार तैयार किए जाते हैं और स्त्री के उस संघर्ष की भी जो वह इस दुनिया में अपनी रचनात्मक क्षमता की पहचान अर्जित करने और सिर्फ़ देह-भर न रहने के लिए करती है। आठवें दशक की बहुचर्चित कथाकार चित्रा मुद्गल ने इस उपन्यास में उसके इस संघर्ष को निष्पक्षता के साथ उकेरते हुए इस बात का भी पूरा ध्यान रखा है कि वे सवाल भी अछूते न रह जाएँ जो विज्ञापन-जगत की अपेक्षाकृत नई संघर्ष-भूमि में नारी-स्वातंत्र्य को लेकर उठते हैं, उठ सकते हैं।
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एक ज़मीन अपनी- चित्रा मुद्गल (भाग -1 )

2 जुलाई 2022
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वह ठिठक गई। क्यारियों की चौड़ी मेड़ से एकदम धनुषाकार हो..... जब भी रंगोली आती है, उसके प्रवेश-द्वार के दोनों ओर चुने हुए गोटों और चट्टानों की सांधों में दुबकी-सी झाँकती कैक्टस की दुर्लभ प्रजातियाँ

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एक ज़मीन अपनी - चित्रा मुद्गल (भाग - 2)

2 जुलाई 2022
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हाय अंकिता........ यहाँ....कौन ? उसी को तो पुकारा गया है ? विस्मित दृष्टि इधर-उधर दौड़ाई तो ठीक अपने दाहिनी ओर आब्जर्वेशन एडवरटाइजिंग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मि० मैथ्यू को खड़ा पा वह अप्रत्याशित ख

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एक ज़मीन अपनी - चित्रा मुद्गल (भाग-३ )

2 जुलाई 2022
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कैसी बातें कर रही हो ! मैथ्यू का स्वर अविश्वास से फुसफुसा आया।  अगले ही क्षण वह सतर्क-भाव से गलतफ़हमी बुहारता-सा बोला, देखो अंकिता ! टकरा गए वाली लीपा-पोती यह नहीं है। मैंने तुम्हें देखते ही पुकारा.

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एक ज़मीन अपनी - चित्रा मुद्गल (भाग-४ )

2 जुलाई 2022
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जाहिर था कि उसकी ओर से रत्ती-भर भी भाव न दिया जाना आज की नंबर वन मॉडल को नख से शिख तक अखर गया है। अखरता रहे। शायद उसने जान-बूझकर ही किया ताकि व्यक्ति स्वयं अवमानना की उस धुएँ-भरी कोठरी के भीतर हो सके

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एक ज़मीन अपनी - चित्रा मुद्गल (भाग-५ )

2 जुलाई 2022
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उसने कोई उत्तर नहीं दिया। कुछ उत्तर दिए नहीं जा सकते। किसी प्रकार पर्स में से रूमाल टटोलकर वह माथे, गले पर छलछला आए श्वेद बिंदुओं को पोंछने लगी। कुछ मेजें उसे कौतूहल से घूर रही हैं, वह स्वयं बड़ा अटपट

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उपन्यास के कुछ अंश

2 जुलाई 2022
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बारीकी से सोचने पर पुनः उसकी पूर्व धारणा स्पष्ट हुई है कि लोग उसके सामने खामोशी अपनाकर उसे बहकने ही नहीं देते अपितु बकायदा उकसाते हैं कि वो बहके और खूब बहके। जैसे किसी को अंधाधुंध पिलाने का मकसद यही ह

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