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बेटियां

24 जनवरी 2023

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खपती  रही   हैं  रोज  ज़माने  में  बेटियां
दो  दो  घरों  की  आन  बचाने  में  बेटियां

कोलाज  मुस्कुराहटों  का  चेहरे में सजाए
गम,फिक्र  को  लगी  हैं  छुपाने  में बेटियां

सेवा का भाव हो या समर्पण  का भाव हो
पीछे   कहां  रहीं   हैं   निभाने  में  बेटियां

सेना में, अंतरिक्ष में,पर्वत  कि  चोटियों में
हर  सू  लगी  हैं  नाम  कमाने  में बेटियां

अपनी तमाम ख्वाहिशों को दर किनार कर
घर  को   लगी  हैं  स्वर्ग  बनाने  में  बेटियां


सुधीर बमोला 

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