shabd-logo

,*फागुन की ऋतु आई *

22 फरवरी 2022

52 बार देखा गया 52
*फागुन की ऋतु आई *

फागुन मास ,वसंत मन मोहक,मादक ऋतु छाई ,
मानो रंग रंगीली चुनरी ओढे ले रही धरा अंगड़ाई ।

शिशिर प्रकंपित अवनि अब तक बैठी ओढ रजाई,
बहने लगी पवन बासंती ,हर उपवन ने शोभा पाई।

जाग्रत हुए सब वृक्ष लताएं ,तुलसी जी ठिठुराई ,
छोड़ कर अपनी लाल चुनरिया, नव पल्लव सरसाई ।

नव ऋतु के छाते ही, होली की आहट आई ,
पापड़ , बड़ियां  सूखेंगे भर भर कर चारपाई ।

दहके अंगारों से रक्तवर्ण फूलों से लदे पलाश वन,
टेसू के जोगिया रंग रंजित प्रेमी युगलों के मन ।

एक तान,एक लय झूमेंगे राधा कृष्ण मुरारी ,
 राधा थामे रंग कमोरी कान्हा कर पिचकारी।

बैठे श्याम सखाओं संग ,चलो सखा सब बरसाने ,
खीजेंगी गोपियां ,राधिका ,देंगी मीठे मीठे ताने ।

उड़ेगा ब्रज में प्रेम रंग ,सृष्टि झूमेगी आनंद मग्न ,
जड़ीभूत मन जागे , आत्मा परमात्मा महा मिलन ।
      dr नीलम सिंह

Dr neelam singh की अन्य किताबें

1

नमस्कार 🙏🙏

20 फरवरी 2022
1
0
0

इस सम्मानित मंच पर सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हो रहा है यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है ।मैं एक नई सदस्या के रूप में सभी विद्वान /विदुषियों को नमन करती हूं 🙏🙏💐💐

2

*बलिदान कथा *

21 फरवरी 2022
3
1
0

चित्तौड़ के राणा रतन सिंह की प्रिय पत्नी,दैवीय #सौंदर्य की स्वामिनी रानी पद्मिनी,दैहिक से भी अधिक थी आंतरिक सुंदरता ,सर्वश्रेष्ठ नारी रत्न , गुणवती , सतीत्व की दृढ़ता ।दूर दूर तक फैल गई सौंदर्य की कीर

3

,*फागुन की ऋतु आई *

22 फरवरी 2022
2
2
0

*फागुन की ऋतु आई *फागुन मास ,वसंत मन मोहक,मादक ऋतु छाई ,मानो रंग रंगीली चुनरी ओढे ले रही धरा अंगड़ाई ।शिशिर प्रकंपित अवनि अब तक बैठी ओढ रजाई,बहने लगी पवन बासंती ,हर उपवन ने शोभा पाई।जाग्रत हुए सब वृक्

4

*कैसा ये अद्भुत निसर्ग !*

23 फरवरी 2022
0
0
0

कैसा अद्भुत अद्वितीय है निसर्ग का तारतम्य ,अपने अपने नियमों में बंधा हर अवयव सुरम्य ।पंच तत्त्वों का स्वयंसिद्ध अनुपम समावेश ,जीवों के गमन आगमन का सतत नियम अशेष ।अपनी धुरी पर घूमती धरा का मोहक स

5

*आत्म शक्ति को नहीं भाता हारना*

24 फरवरी 2022
1
1
0

बात पुरानी मानो बीते युग की है कहानी ,एक लहर सी आई, बह गया नदियों में पानी ,बचपन के प्यारे से दिन थे कितने अनमोल ,उम्र के इस पड़ाव पर मन ने दिया झरोखा खोल ।विद्यालय में स्वतंत्रता दिवस उत्सव आयोजन ,का

6

ब्रज की गोपियाँ और कृष्ण *

25 फरवरी 2022
0
0
0

ब्रज की गोपियाँ और कृष्ण—————————-जाना ही था तो क्यों जोड़ा प्रेम बंधन उनकी ही श्यामल छवि से सजा मन कैसे जियें जाते जाते बता जाते ,हम भी उनकी तरह आगे बढ़ जाते ।यमुना तट के कुंजो में उनका ही ध्

7

चेतना को सूर्य बना दो *

26 फरवरी 2022
1
1
0

चेतना को सूर्य बना दो -----------------------------प्रभु मन की #ज्योति जला दो ,मन को नभ सा विस्तारित ,चेतना को सूर्य बना दो । जब भी किया आत्म निरीक्षण ,'मैं 'के बिखरे जहाँ तहाँ कण ,करती उसका

8

*खूबसूरत रिश्तों का संसार ,*

27 फरवरी 2022
1
1
0

*रिश्तों का संसार *खूबसूरत #रिश्तों से महकता संसार ,रिश्ते प्यार,वात्सल्य विश्वास के हजार ,उर मेंअनुभूति के मानो अगम्य सागर ,बहु मूल्य रत्नों से #रिश्तों का आगार ।भोर की लालिमा मय उजास से रिश्ते

9

*प्रेम नहीं होता एकतरफा *

28 फरवरी 2022
0
0
0

कैसे भूल जाऊं भला ससुराल का आंगन ,तुम संग आई थी जहां नतमुख मेरे साजन ,जीवन को मिला जो विस्तार मंगल मय ,आई थी स्वप्न सजा ,तुम संग हो जाऊं लय ।ज्यों साक्षी बनी जनक पुर की पुष्प वाटिका ,प्रेम भाव की उच्च

10

*लंबी है ख्वाहिशों की सूची मेरी*

1 मार्च 2022
0
0
0

*मेरी #ख्वाहिशें *लंबी है ख्वाहिशों की सूची मेरी ,जानती हूँ मैं रह जायेगी अधूरी ,देखना चाहती हूं धरा का हर कोना,झील,सरोवर,पर्वत घास का बिछौना ,चाहती हूँ हिम मंडित शिखरों को छूना ,ख्वाहिशों

11

*नीलवर्णी कान्हा तेरी शरणागत*

2 मार्च 2022
0
0
0

**नीलवर्णी कान्हा तेरी शरणागत **पग पग पर ठोकर खाई ,जग ने नूतन रीत सिखाई ,उपजी मन में मनो कामना ,शरणागत हूँ मुझे थामना ।जीवन है कठिन पहेली ,जाने कितनी ऋतुएं झेली,त्याग सुख दुख का विचार ,खड़ी हूँ आकुल ते

12

*अब नहीं रही सहन शीलता *

5 मार्च 2022
1
1
0

*नहीं रही #सहनशीलता **पाँच दशकों में बदली जीवन की परिदृष्यता ,सुख साधन ,चौपहिया वाहन की सहज उपलब्धता ,विलास वैभव अतिरेक, पर्यटन की पूर्ण स्वतंत्रता ,अब नहीं दिखाई देती कहीं लोगों में #सहनशीलता ।

13

काश दर्द के ज़ुबान होती

7 मार्च 2022
1
1
0

*काश दर्द के ज़ुबान होती*काश दर्द के ज़ुबान होती ,बिन कहे कहती सुनती,रूह की सहेली ही सही हर पल साथ ही रहती ।अकेली खामोश तन्हाइयों भरी लंबी रात ,खुद से खुद की अनकही , अन देखी मुलाकात ।खुद से ही कहते सु

14

नारी तू नारायणी

8 मार्च 2022
0
0
0

*नारी तू नारायणी …*आज़ विश्व मना रहा अंतराष्ट्रीय नारी दिवस ,एक दिन नहीं बखान सकता नारी का यश ,असीम है ब्रह्मांड में नारीत्व की गरिमा ,वेद भी बखानते है मुक्त कंठ इसकी महिमा ।वेद उवाच “यत्र नार्य

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए