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*कैसा ये अद्भुत निसर्ग !*

23 फरवरी 2022

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कैसा अद्भुत अद्वितीय है निसर्ग का तारतम्य ,
अपने अपने नियमों में बंधा हर अवयव सुरम्य ।

पंच तत्त्वों का स्वयंसिद्ध अनुपम समावेश ,
जीवों के गमन आगमन का सतत नियम अशेष ।

अपनी धुरी पर घूमती धरा का मोहक  सौंदर्य,
प्रदर्शित करता ऋतुओं के  परिवर्तन  का माधुर्य ।

सागर से उठता प्रचंडतम आलोड़न सीमाबद्ध ,
नभ में विचरते सूर्य ,चंद्र ,नक्षत्र दृढ़ नियम आबद्ध ।

षड ऋतुओं के आगमन में एक लयात्मकता ,
प्रकृति के कण कण में निहित अनुपम तारतम्यता ।

जलचर ,नभकर ,थलचर ,जड़ चेतन नियमाधीन ,
तथाकथित सभ्य मानव ही हो गया अनुशासन हीन ।

तोड़दी जब से मनुष्य ने पारम्परिक सभी मर्यादाएँ,
स्वयं आमंत्रित कर ली पग पग पर लाखों विपदाएँ ।




जोड़ लिए विनाश के घातक अस्त्रों के भंडार ,
शक्ति संचय कर भय दोहन का नीच व्यवहार ।

पाया रोग ,शोक ,महामारी ,रिश्तों में उत्पन्न जड़त्व ,
भूल बैठा जग संचालन करता है ईश्वरीय तत्त्व !

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*कैसा ये अद्भुत निसर्ग !*

23 फरवरी 2022
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कैसा अद्भुत अद्वितीय है निसर्ग का तारतम्य ,अपने अपने नियमों में बंधा हर अवयव सुरम्य ।पंच तत्त्वों का स्वयंसिद्ध अनुपम समावेश ,जीवों के गमन आगमन का सतत नियम अशेष ।अपनी धुरी पर घूमती धरा का मोहक स

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ब्रज की गोपियाँ और कृष्ण *

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