*मेरी #ख्वाहिशें *
लंबी है ख्वाहिशों की सूची मेरी ,
जानती हूँ मैं रह जायेगी अधूरी ,
देखना चाहती हूं धरा का हर कोना,
झील,सरोवर,पर्वत घास का बिछौना ,
चाहती हूँ हिम मंडित शिखरों को छूना ,
ख्वाहिशों के पंख लगा कर उड़ना
जहां मिलते हों धरती आसमान ,
गले लगते हों जहाँ दोनों जहांन ,
चंद्रमा की चांदनी की मुस्कान ,
तारा गण सुनाते हों मंगल गान ,
सूरज की तपिश जीवन दायिनी ,
निर्मल आकाश सी हँसती आह्लादिनी ।
मिट जाए जग से दुख का नाम निशान ,
बढ़ जाये प्रेम,सद्भाव ,आपसी सम्मान ,
ना कोई लघु ना कोई उच्च महान ,
सबकी जिंदगी का हो सम्यक मान ,
मिट जाएँ धर्म ,जाति पांति के झगड़े ,
ना कहलाये कोई अगड़े ना पिछड़े ,
मिट जाए जग से कन्या भ्रूण वध ,
दहेज अथवा बलात्कार से अपराध,
सबको मिले भोजन वस्त्र ,मकान ,
प्राणियों को प्रकृति माँ का वरदान ,
भिन्न जीव जंतुओं का जीवन सुरक्षित ,
समूची सृष्टि है ब्रह्मा की सुंदर कृति ।
मिट जाए जग से भय का कारोबार ,
नष्ट हो जायें सभी आणविक हथियार,
दुख दर्द की कालिमा को भेद कर
नूतन सुबह ले कर आएं दिनकर ,
छलके जग में आनंदमय ज्योति कलश
मिट जाए सकल असंतोष ,अमर्ष ।
और भी हैं #ख्वाहिशें असीम ,
मुक्तिमय जीवन नभ सा निस्सीम ,
नष्ट हो पाप की ओर खींचती भावना
प्राणियों में बढ़े आपसी सद्भावना ,
एक दिन पूर्ण कर यह जीवन पथ ,
दिव्य महाज्योति तक ले जाये पुण्यो का रथ ।
डॉ नीलम सिंह