मेरे सम्बन्ध में पढ़ने वाले सभी मित्रों को मेरी जयहिंद एवं नमस्ते।
मेरा नाम अनिल कुमार है किन्तु मुझे अधिकतर मोक्ष के नाम से ही जाना जाता है।
अपनी प्रारम्भिक शिक्षा के उपरान्त मैंने विविध प्रकार के कार्य किये किन्तु किशोरावस्था से ही मैं गुप्तचर बनना चाहता था, स्नातक न होने के कारण मैं सरकारी विभाग में गुप्तचर न बन सका परन्तु मैंने अपनी लगन नहीं छोड़ी।
और तब एक समय आया जब भारत ही नहीं विश्व के पहले भारतीय एवं प्रसिद्द निजी गुप्तचर श्री रमेश मदन जी से मेरी भेंट हुई और उन्होंने मुझे अपने साथ जुड़ने का अवसर दिया।
१९९५ से मैंने स्वयं का एक कार्यालय खोला और तब से मैं भारत और विदेश में निजी गुप्तचर के रूप में लोगों को अपनी सेवाएं दे रहा हूँ।
गुप्तचर होने के अतिरिक्त मैंने रंगमंच और नुक्कड़ नाटकों में एक कलाकार के रूम में कार्य किया, मुंबई में टेलीविजन के एक नाटक "जाएं कहाँ" एवं कुछ फीचर फिल्मों के लिए संवाद लिखे।
तत्पश्चात कंप्यूटर और मोबाइल आने के बाद गुप्तचरी के व्यवसाय में भी तकनीकी ज्ञान की आवश्यकताओं को देखते हुए साइबर सुरक्षा की शिक्षा ली।
और इसी का लाभ हुआ की २०१९ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय कार्यालय की और से एक कार्यक्रम "सर्व शिक्षा अभियान" के लिए मुझे भी दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में छात्रों एवं शिक्षकों को साइबर सुरक्षा पर वक्तव्य तथा जानकारी देने का सुअवसर प्राप्त हुआ। जिसमे २५०० के लगभग छात्रों एवं शिक्षकों ने भाग लिया।
मुझे गुप्तचरी के अतिरिक्त लोगों से मित्रता करना, सभी विषयों पर, समाज बच्चों युवाओं और अपराधियों के मनोविज्ञान पर पढ़ना, छात्रों को व्यवसाय चुनने के लिए परामर्श देना, मानसिक रूप से उदास परेशान लोगों के समस्याओं में उन्हें सुनना और उन्हें सकारात्मक बनने के लिए प्रेरित करना बहुत रुचिकर लगता है।
आपने मेरे सम्बन्ध में पढ़ा इसके लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।
मेरे विषय में अधिक जानकारी आप मेरी निजी वेबसाइट पर देख सकते हैं :
http://investigator.mystrikingly.com
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मेरे सम्बन्ध में पढ़ने वाले सभी मित्रों को मेरी जयहिंद एवं नमस्ते।
मेरा नाम अनिल कुमार है किन्तु मुझे अधिकतर मोक्ष के नाम से ही जाना जाता है।
अपनी प्रारम्भिक शिक्षा के उपरान्त मैंने विविध प्रकार के कार्य किये किन्तु किशोरावस्था से ही मैं गुप्तचर बनना चाहता था, स्नातक न होने के कारण मैं सरकारी विभाग में गुप्तचर न बन सका परन्तु मैंने अपनी लगन नहीं छोड़ी।
और तब एक समय आया जब भारत ही नहीं विश्व के पहले भारतीय एवं प्रसिद्द निजी गुप्तचर श्री रमेश मदन जी से मेरी भेंट हुई और उन्होंने मुझे अपने साथ जुड़ने का अवसर दिया।
१९९५ से मैंने स्वयं का एक कार्यालय खोला और तब से मैं भारत और विदेश में निजी गुप्तचर के रूप में लोगों को अपनी सेवाएं दे रहा हूँ।
गुप्तचर होने के अतिरिक्त मैंने रंगमंच और नुक्कड़ नाटकों में एक कलाकार के रूम में कार्य किया, मुंबई में टेलीविजन के एक नाटक "जाएं कहाँ" एवं कुछ फीचर फिल्मों के लिए संवाद लिखे।
तत्पश्चात कंप्यूटर और मोबाइल आने के बाद गुप्तचरी के व्यवसाय में भी तकनीकी ज्ञान की आवश्यकताओं को देखते हुए साइबर सुरक्षा की शिक्षा ली।
और इसी का लाभ हुआ की २०१९ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय कार्यालय की और से एक कार्यक्रम "सर्व शिक्षा अभियान" के लिए मुझे भी दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में छात्रों एवं शिक्षकों को साइबर सुरक्षा पर वक्तव्य तथा जानकारी देने का सुअवसर प्राप्त हुआ। जिसमे २५०० के लगभग छात्रों एवं शिक्षकों ने भाग लिया।
मुझे गुप्तचरी के अतिरिक्त लोगों से मित्रता करना, सभी विषयों पर, समाज बच्चों युवाओं और अपराधियों के मनोविज्ञान पर पढ़ना, छात्रों को व्यवसाय चुनने के लिए परामर्श देना, मानसिक रूप से उदास परेशान लोगों के समस्याओं में उन्हें सुनना और उन्हें सकारात्मक बनने के लिए प्रेरित करना बहुत रुचिकर लगता है।
आपने मेरे सम्बन्ध में पढ़ा इसके लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।
मेरे विषय में अधिक जानकारी आप मेरी निजी वेबसाइट पर देख सकते हैं :
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