गजल
सोचता हूँ अब क्या किया जाये ,
कब तलक इस तरह जिया जाये |
प्यास आबे हयात से बुझी
जहर अब कौन सा पिया जाये |
मेरी रुसवाइयों के बारे में ,
आपका नाम क्यों लिया जाये |
तुझको प्यासों की तिश्नगी की कसम ,
जाम खाली है भर दिया जाये |
इन्कलाबे बज्म में यारो ,
कुछ नया रंग भर दिया जाये |
बलवीर सिंह
रंग