एक
बड़े कक्ष में देश के बड़े बड़े नेताओं के बहुत से चित्र लगे हैं | एक बच्चा अपनी माँ
के साथ चित्र देखता हुआ जब गांधी जी के चित्र के सम्मुख पहुंचता है तो वह अपनी माँ
से पूछता है ---
चरवाहे सी लाठी पकड़े चिकनी पतली छोटी
,
बप्पा
जैसी घड़ी , कमर में ताऊ जैसी धोती |
मुंशी जी
की तरह लगी है ऐनक भी आँखों पर ,
तेरी जैसी
चप्पल पहनें , नानी जैसी चादर |
चेहरे से लगता है मानों कई जन्म से
मौन हैं ,
अम्मां
बतलादो मुझे ये बाबा जैसे कौन हैं ||
माँ उत्तर देती हैं ---
ये जीवन
की कर्म भूमि में , कर्म वीर बन आये ,
ये दुःख
की दोपहरी में सुख के समीर बन आये |
ये आये
हैं मानवता के सोये भाग जगाने ,
ये आये
हैं दुखिया धरती माँ के फंड छुड़ानें |
सत्य
बीन से राग अहिंसा का हैं यही पुकारते ,
मोहन के हैं दास , विश्व के बापू हैं कहलाते |
बलवीर सिंह रंग