गीत
कुसुम
सिन्हा ( बुलंदशहर )
एक उजली
दृष्टि अन्तर में समाई |
बिन बुलाये
तीर्थ मेरे द्वार आया ,
बिन छुए पावन हुई है मोह माया ,
एक भोली भावना गंगा नहाई |
फूल से वरदान आंचल में पड़े हें ,
पुण्य के
फल सामने आकर खड़े हें ,
एक पल में
साधना ने सिद्धि पाई |
बांसुरी अनुभूति की बजने लगी है ,
आत्मा की
राधिका सजने लगी है ,
एक मंगल
ज्योति मन में जगमगाई |
( काव्य संकलन
- - बांसुरी अनुभूति की - से साभार )