तुमसे अच्छी याद
तुम्हारी |
अहवाह्न पर आ जाती है ,
आकुल मन बहला जाती है |
मेरा अद्वेत द्वेत बनकर ,
हर लेता मन की लाचारी |
तुमसे अच्छी याद तुम्हारी |
चुप चुप हरो व्यथा भार तुम
सगुण बनो या निराकार तुम |
आराधन निर्गुण का करते ,
प्रिय मेरी बुद्धि अब हारी |
तुमसे अच्छी याद तुम्हारी |